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‘अतीकी’ नेटवर्क के आगे फेल पुलिसिया नेटवर्क!

By Shakti Prakash Shrivastva on August 29, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                     बेशक प्रयागराज और उसके आसपास आतंक का पर्याय रहे माफिया डान अतीक और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को प्रयागराज में हत्या हो चुकी है। लेकिन हत्या के बाद पुलिसिया कवायदे और गतिविधियां कहीं न कहीं आम प्रदेशवासी को यह मानने को मजबूर कर रही हैं कि इन माफिया भाइयों का आतंक का साया अभी भी पुलिस पर भारी साबित हो रहा है। क्योंकि अगर ऐसा न होता तो प्रयागराज शूटआउट हुए इतने महीने बीत गए और अभी तक पुलिस रिकार्ड में 5-5 लाख के इनामिया बमबाज़ गुड्डू मुस्लिम, साबिर, अरमान और अतीक की 50 हजार की इनामिया बीबी शाइस्ता परवीन और अतीक के भाई अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा पुलिसिया पकड़ से दूर है। जबकि पुलिस इनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार कार्रवाई दर कार्रवाई कर रही है। देशभर में छापे डाल रही है। इसके लिए वारदात के दिन 24 फरवरी से ही पुलिस, एसटीएफ और जांच एजेंसियां लगातार सक्रिय है। लेकिन देशभर में अपनी कार्रवाई का डंका बजाने वाली यूपी पुलिस इस फ्रंट पर निसहाय दिख रही है। लेकिन यह समझ से परे है कि आखिर ऐसा क्यों जबकि पुलिस अब पहले की तुलना में अधिक अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकी से लैस है। अधिकारियों को भी कामकाज में खुली छूट मिली हुई है। क्योंकि योगी सरकार शुरुआत से ही प्रदेश में अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने को लेकर खासा सतर्क है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तो प्रदेश में अपराध, अपराधियों और भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति लागू करते हुए स्पष्ट ऐलान कर दिया था कि अपराधी या तो अपराध छोड़ दें या प्रदेश वरना उन्हे वो छुड़ा देंगे। हालांकि उनके इस संकल्प का असर दिखा भी। प्रदेश में काफी हद तक अपराधों पर नियंत्रण हुआ है। लेकिन अतीक और उसके भाई अशरफ के आपराधिक कुनबे पर प्रभावी नियंत्रण पाने पर पुलिस अभी तक नाकाम साबित हो रही है। इतने बड़े पुलिसिया तंत्र की आँखों में धूल झाँकते हुए एक-दो नहीं लगभग छः महीने होने को हैं और पुलिस के हाथ आज भी फरार इनामिया अपराधियों की गिरफ्तारी के मामले में खाली हैं।

पुलिसिया नाकामी की हद तो तब सामने आता है जब अतीक के माफिया भाई अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा जिसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीमें लगातार सक्रिय है। वो प्रयागराज आती है और अपने गिरफ्तारी के खिलाफ अग्रिम जमानत पाने के लिए फोटो खिंचवाती है आवश्यक कागजातों और हलफनामे पर दस्तखत कर सुरक्षित वापस निकल जाती है और पुलिसिया खुफिया तंत्र समेत जांच में लगी टीमों को कानों-कान इसकी भनक तक नहीं लगती है। जबकि इसी जैनब फातिमा पर 24 फरवरी को दिनदहाड़े हुए प्रयागराज शूट आउट जैसे दिलदहला देने वाली वारदात में शामिल शूटरों को फरार करने का आरोप है। पुलिस उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुकी है। उसकी कई राज्यों में तलाश भी हो रही है। लेकिन अभी तक न तो पुलिस को इसके बारे में जानकारी मिल रही है और न ही अतीक की इनामी बीवी शाइस्ता परवीन का ही पता चल पा रहा है। हैरत की बात है कि जैनब ने पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हुए अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटा दिया है। उसने वकील के मार्फत अपनी अग्रिम जमानत याचिका का नोटिस शासकीय अधिवक्ता कार्यालय को भेजा है। याचिका में जैनब ने हाईकोर्ट में खुद हाजिर होकर हलफनामा लगाया है। क्योंकि हाईकोर्ट में याचिका के साथ दाखिल होने वाले हलफनामे पर हाईकोर्ट के फोटो आइडेंटिटी सेंटर पर फोटो खिंचवाना अनिवार्य होता है। सूत्रो की माने तो जैनब 16 अगस्त या उसके पहले फोटो खिंचवाने आई थी। वह फोटो खिंचवाकर बेरोकटोक चली गई और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। इससे पुलिस की सक्रियता और उसके खुफिया तंत्र पर गंभीर सवाल उठने लगा है। पुलिस ने दावा किया था कि जैनब की आखिरी लोकेशन दिल्ली के शॉपिंग मॉल में मिली थी। जबकि अतीक के वकील विजय मिश्र की गिरफ्तारी के समय उसके लखनऊ में मौजूद रहने की चर्चा थी। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे में बुर्का पहने तीन संदिग्ध महिलाएं नजर आईं हैं। उसी में से एक महिला को जैनब होने के कयास  लगाया जा रहा है। सीसीटीवी फुटेज करीब दो हफ्ते पहले का बताया जा रहा है।

चूंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 12 से 15 अगस्त तक छुट्टी थी। ऐसे में कयास यह भी लगाए जा रहे है कि यह तस्वीर 11 अगस्त या उसके पहले के खींचे हो सकते है। माना जा रहा है कि जैनब की जमानत याचिका हाईकोर्ट की रिपोर्टिंग सेक्शन से हरी झंडी मिलने के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगी। इस जानकारी के बाद जैनब की तलाश में एक बार फिर पुलिस ने पूरामुफ्ती के हटवा व मरियाडीह में जांच शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक प्रयागराज के पुलिस आयुक्त रमित शर्मा ने इस मामले में जांच एजेंसियों और उमेश पाल हत्याकांड की जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई है। पुलिसिया तंत्र की एक और चूक सामने आ रही है जिसमें पता चला है कि अतीक-अशरफ की 15 अप्रैल को हुई हत्या के बाद अतीक कुनबे पर आर्थिक संकट आ गया है। इसके लिए पूर्व में अतीक के गुर्गों के नाम की गयी सम्पत्तियों को बेचकर इसकी भरपाई की जा रही है। लेकिन अतीक और उसके कुनबे के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही प्रदेश और केंद्र की एजेंसियों को भनक तक नहीं लगी जब ऐसी 43 संपत्तियों को अतीक के नेटवर्क के जरिये बेच डाला गया। तमाम सतर्कता के बावजूद बीते दो माह में प्रयागराज स्थित ऐसी चार संपत्तियों को अतीक के गुर्गों द्वारा बेचे जाने की खबर है। इन गलतियों से सबक लेते हुए पुलिस तंत्र को गंभीरता से अतीक के तंत्र को नए सिरे से खंगालना होगा और कुछ ऐसा करना होगा जिससे बीते दिनों उसकी कार्यशैली पर उठे सवालो का जवाब दिया जा सके।

 

 

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