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जब मुख्यमंत्री लगने लगे डाक्टर?

By Shakti Prakash Shrivastva on December 1, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश में सियासत के दो धुरंधरों में से एक धुरंधर को दूसरा धुरंधर जब डाक्टर लगने लगे तो इसको आप क्या कहेंगे। वो भी जब एक धुरंधर सूबे का मुख्यमंत्री हो और दूसरा सूबे का पूर्व मुख्यमंत्री हो तो ऐसे में प्रश्न उठना लाजिमी है कि आखिर ऐसा कैसे। आइये हम यहाँ आपको इसका उत्तर दिए देते हैं। हुआ ये कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के शारदीय सत्र के दूसरे दिन जब सदन की कार्रवाई चल रही थी। पक्ष और प्रतिपक्ष में आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला अपने उरोज पर था। नेता सदन यानि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डेंगू पर उठे सवाल पर जबाब देते हुए प्रदेश के एक-एक जिलों की स्थिति को आँकड़े के साथ सदन में प्रस्तुत किया। इसके बाद अपनी प्रतिक्रिया स्वरूप नेता प्रतिपक्ष और सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने सदन में कहा कि मुझे थोड़ी देर के लिए नेता सदन यानि मुख्यमंत्री डाक्टर लगने लगे।

इसमें कही दो राय नहीं कि जिस तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चिकित्सकीय आँकड़े सदन में रखे वो किसी विशेषज्ञ चिकित्सक की ही तरह लग रहे थे। यही वजह है कि विपक्ष में रह विपक्षी भाषा बोलने के आदती नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के मुंह से सच्चाई निकल गई भले उनका अंदाज व्यंग्य वाला था। प्रदेश में डेंगू के बढ़ते मामलों को लेकर समाजवादी पार्टी के सदस्यों द्वारा दिए गए कार्य स्थगन के नोटिस पर राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जवाब दिया। जवाब देने के क्रम में उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से समय पर उठाए गए कदमों के कारण ही प्रदेश में डेंगू आज नियंत्रण में है। प्रदेश के सभी जिलों को ‘ब्लड सेपरेटर यूनिट’ दी गई हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा संचारी और जल जनित बीमारियों की जांच के लिए साल में तीन बार विशेष अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने विपक्षी दल सपा पर व्यंग्य करते हुए कहा कि हमारी सरकार चेहरा, जाति या धर्म देखकर मदद नहीं करती है। बल्कि हम प्रदेश के हर जरूरतमंद नागरिक को मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से अपेक्षाकृत सहायता प्रदान करते हैं। आदित्यनाथ ने सपा पर हमला करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी की सोच  सभी मुद्दों का राजनीतिकरण करने, समाज में अव्यवस्था और असंतोष पैदा करने की है। उनका यह प्रयास हमने कोरोना के दौरान बखूबी देखा है। जब इनके लोग ‘मोदी वैक्सीन’ बताकर वैक्सीन लेने के खिलाफ लोगों को गुमराह करने का काम कर रहे थे। मुख्यमंत्री के वक्तव्य के पहले नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव, सपा सदस्य लालजी वर्मा और अन्य पार्टी नेताओं ने डेंगू का मुद्दा उठाते हुए सरकार पर यह आरोप लगाया था कि अपर्याप्त इंतजाम के कारण ही प्रदेश में डेंगू से हजारों लोगों की मौत हुई है।
पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सदन में दिए गए स्पष्टीकरण पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी के वक्तव्य के तरीके से ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री जी ने एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त कर ली है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश के किसी भी अस्पताल में मरीजों को इलाज नहीं मिल रहा है। राजधानी के ही एक अस्पताल में इलाज नहीं मिलने से एक पूर्व सांसद के बेटे की मौत हो गई। अखिलेश यादव ने राज्य के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक पर अन्य मुद्दों में अधिक रुचि लेने और अन्य विभागों के कामकाज पर अपनी ऊर्जा लगाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने डेंगू से जान गंवाने वालों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने और निजी अस्पतालों में इलाज पर हुए खर्च की भरपाई करने की भी मांग की। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जो सरकार डेंगू जैसी बीमारी का इलाज नहीं करा पा रही है, वह एक हजार अरब की अर्थव्यवस्था का सपना देख रही है। अस्पतालों में डेंगू के मरीजों के लिए एम्बुलेंस, स्ट्रेचर और बेड उपलब्ध नहीं हैं। यादव ने कहा कि ऐसा सरकार की अक्षमता के कारण हुआ है।  इसी वजह से मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज न मिलने पर इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख करने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ही तरह उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भी आरोप लगाया कि सपा सदस्य शोर मचाने में अधिक रुचि रखते हैं।

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