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गोरखपुर का चर्चित मनीष हत्याकांड : वाकई गिरफ्तार होंगे आरोपित पुलिसकर्मी?

By Shakti Prakash Shrivastva on October 9, 2021
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गोरखपुर, (संवाददाता)। गोरखपुर के एक होटल में ठहरे कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता की पुलिसकर्मियों द्वारा पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है। मुख्यमंत्री का शहर होने के नाते मामला खूब सुर्खियों मे रहता है। मुख्यमंत्री भी संज्ञान ले कर सख्त कार्रवाई और दोषियों की अविलंब गिरफ्तारी का ऐलान करते है। लेकिन जिस तरह से आज लगभग दो हफ्ते का समय बीतने को है। मनीष की विधवा को सरकार द्वारा घोषित आर्थिक सहायता और नौकरी का आश्वासन भी पूरा किए जाने के बावजूद दोषी पुलिस कर्मियों की गिरफ्तारी का न होना अब कई तरह के प्रश्न चिन्ह खड़ा करने लगा है। खासकर तब जब आरोपी इंस्पेक्टर सहित 6 पुलिस वालों को पुलिस की 12 टीमें 10 दिन से ढूंढ रही हैं। गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमों द्वारा जिस तरह के प्रयास किए जा रहे है उससे नहीं लगता है कि पुलिस वाकई गिरफ्तारी चाहती है। क्योंकि मामला तूल पकड़ने के बाद सस्पेंड हो चुका थानेदार इंस्पेक्टर जेएन सिंह बकायदे अपने थाने रामगढ़ ताल पहुंचता है फिर रोजनामचे में इलाज का जिक्र करते हुए रवानगी करता है। ऐसे में साफ साबित हो रहा है कि कहीं न कहीं पुलिसिया कहानी या प्रयास में कोई झोल है। वरना आरोपी इस तरह हंसी-खुशी थाने से रवाना ही नहीं हो पाता।

गोरखपुर और कानपुर में पुलिस की लगभग 10 दिनों से 12  टीमें आरोपितों को पकड़ने का प्रयास कर रही है। लेकिन पकड़ना तो दूर कोई अहम सुराग तक हासिल नहीं कर पायी है। शुक्रवार को बकायदे फरार पुलिसकर्मियो पर 25-25 हजार का इनाम भी कर दिया गया है। यहाँ एक सवाल और उठने लगा है कि आरोपी इंस्पेक्टर पुलिसिया प्रणाली से भली-भांति वाकिफ है। एसओजी और एसटीएफ में तैनात रह चुका है। पुलिसिया खटकर्म से वाकिफ जे एन सिंह एक सिपाही से इंस्पेक्टर तक का सफर यूं ही नहीं तय कर सका है। यही सब वजह है कि अभी तक पुलिस उसे पकड़ना तो दूर उसका लोकेशन तक ट्रेस नहीं कर सकी है। जबकि घटना के दूसरे दिन अपने तैनाती थाने पर जाकर आरोपी अपना सर्विस रिवाल्वर और सीयूजी मोबाइल जमा करता है फिर काली गाड़ी से लखनऊ की तरफ पुलिसिया रडार से बाहर हो जाता है। सामान्य मामले में आरोपी के न मिलने पर उसके नात-रिश्तेदार यहाँ तक की अड़ोसी-पड़ोसी तक को परेशान कर गिरफ्तारी का दबाव बनाने वाली पुलिस इस हाई प्रोफाइल मामले में इतनी शिथिल क्यू है। समझ से परे है। इतना ही जिस तेवर के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाना जाता है वो उनके गृह जिले में ही तार-तार साबित हो रहा है। आखिर क्यों? संबन्धित अधिकारी आखिर मुख्यमंत्री को इस मामले क्या-कुछ ऐसा समझा रहे है जो मुख्यमंत्री ने भी अपनी प्राथमिकता बदल दी है। मामले की जांच कर रही एसआईटी का आलम ये है कि फिलहाल वो धाराओं के गणित में उलझ सी गयी है। ऐसा लग रहा है कि धारा 302 और धारा 304 के बीच जद्दों-जहद कर रही एसआईटी 120 बी के तहत भी कुछ लोगों को आरोपी बना सकती है। धनउगाही के लिए डाले गए दबिश में जिस तरह होटल मालिक की संलिप्तता जाहीर हो रही है उससे ऐसा जान पड रहा है कि दल उसे भी आरोपी बना सकती है। फिलहाल खबर की मुताबिक पुलिस दल ने बाराबंकी आवास विकास कालोनी स्थित आरोपी दारोगा अक्षय मिश्रा के आवास से उसके पुत्र को उठाया है। माना जा रहा है ऐसा अक्षय की गिरफ्तारी के लिए दबाव बढ़ाने के लिए किया गया है।

 

 

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