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भीषण गर्मी से यूपी में बिजली व्यवस्था हुई बेपटरी, अघोषित कटौती से उपभोक्ता बेहाल

By Shakti Prakash Shrivastva on April 24, 2022
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             लखनऊ, (प्रमुख संवाददाता)। अप्रैल महीने में ही समूचा उत्तर प्रदेश भीषण गर्मी की जो तपिश झेल रहा है। उससे जनजीवन की बदहाली के साथ-साथ बिजली व्यवस्था भी पटरी से उतरती जा रही है। पूरा प्रदेश में इन दिनों बिजली संकट की चपेट में है। प्रदेश की उत्पादन इकाइयां भी किसी न किसी कारणों से अपेक्षित उत्पादन देने में असमर्थ हैं। कही तकनीकी समस्या वजह है तो कहीं कोयले की कमी के नाते उत्पादन प्रभावित है। इतना ही नहीं वितरण और ट्रांसमिशन नेटवर्क के ओवरलोड होने और अन्य स्थानीय गड़बड़ियाँ भी एक कारण हैं। बहरहाल प्रदेश की इस स्थिति की वजह से शहरी इलाका हो या ग्रामीण हर जगह के उपभोक्ता प्रभावित है। क्योंकि इन इलाकों में अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। वास्तविक स्थिति सामने न आए इसलिए स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने आपूर्ति की दैनिक रिपोर्ट तक अपनी वेबसाइट से हटा ली है। जानकारी की मुताबिक प्रदेश में बिजली की मांग लगभग 20,000 मेगावाट के आसपास है जबकि उपलब्धता 18000-19000 मेगावाट के बीच इन दिनों है। जबकि पीक अवधि मे यह मांग बढ़कर 21000 मेगावाट तक पहुंच जाती  है। उत्पादन की बात करें तो प्रदेश के 14224 मेगावाट क्षमता के ताप बिजलीघरों से करीब 9000-11000 मेगावाट बिजली मिल पा रही है। जबकि केंद्र से लगभग 7000 मेगावाट बिजली मिल रही है।
शहरी क्षेत्र के लिए अधिकारियों का मानना है कि सामान्य अवधि में तो कोई खास समस्या नहीं आ रही है, लेकिन पीक ऑवर्स और रात में मांग काफी बढ़ती है जिससे गांवों, कस्बों और तहसील मुख्यालयों पर आपात कटौती करनी पड़ती है। अधिकारियों का दावा है कि शहरी क्षेत्रों को शिड्यूल के  मुताबिक 24 घंटे आपूर्ति की जा रही है। पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों का कहना है कि कोयले की कमी से कुछ निजी उत्पादकों ने उत्पादन कम कर दिया है जबकि बजाज की ललितपुर परियोजना की 660 मेगावाट क्षमता की एक इकाई कोयले की कमी से बंद चल रही है। अनपरा की एक 500 और एक 210 मेगावाट क्षमता की इकाई तकनीकी कारणों से बंद चल रही है। हरदुआगंज, पारीछा व ओबरा बिजलीघर में कोयले की कमी से उत्पादन कम हो रहा है। ताप बिजलीघरों की इकाइयों में पूरी क्षमता से उत्पादन न होने से आपूर्ति व्यवस्था पटरी पर रखने में दिक्कत आ रही है। गांवों के लिए 18 घंटे आपूर्ति का शिड्यूल है जबकि इस समय औसत 13 से 14 घंटे आपूर्ति हो पा रही है। इसी तरह कस्बों को 21 से 22 घंटे के स्थान पर 18 से 19 घंटे और तहसीलों को 21से 22 घंटे के स्थान पर करीब 19 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो पा रही है।

 

 

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