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अब ‘केशव’ होंगे बीजेपी के खेवनहार!

By Shakti Prakash Shrivastva on November 24, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

सियासी गलियारे में इन दिनों लोकसभा की तैयारियों के बाबत जिस तरह की चर्चाएं हो रही है उनमें रामजन्मभूमि अयोध्या में बन रहा भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर का मुद्दा गौण लगने लगा है। हालांकि भगवान श्रीराम देश के एक बड़े तबके के आराध्य हैं लिहाजा उनके मंदिर के निर्माण और अयोध्या नगरी के कायाकल्प की खबरें हिन्दुस्तानी जनमानस की प्राथमिकता में अभी भी शामिल है। जिस तरह बीजेपी जैसी सियासी पार्टी ने अपने सियासी एजेंडे में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के प्रति लोगों की भावनाओं को शामिल किया है। उसका परिणाम आज उसका वर्तमान है। इसके लिए पार्टी ने कहीं कोई ऐसा कृत्य नहीं किया जिस आधार पर उसे सीधे तौर पर दोषी ठहराया जा सके। क्योंकि इसके लिए उसने लोकतन्त्र की सबसे बड़ी ताकत मतदाताओं के मन और आस्था का इस्तेमाल किया। मतदाताओं को जीवन के आदर्शों से साक्षात्कार कराते हुए उसमें भगवान श्रीराम के महात्म्य को स्थापित किया। यही वजह है कि साढ़े तीन-चार दशक पहले तक दो सांसदों वाली बीजेपी आज लगातार दो बार से केंद्र की सत्ता पर आसीन है। लेकिन मौजूदा सियासी जमीन खासकर उत्तर प्रदेश में जो दिख रही है उस आधार पर कहा जा सकता है कि इस बार आधारभूत मुद्दों के साथ उसके एजेंडे में नया मुद्दा शामिल किया जा सकता है। इसकी पृष्ठभूमि की तैयारी में ही तेईस नवंबर को उत्तर प्रदेश के ब्रजभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगमन भी हुआ। उनके साथ उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदिबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत बड़ी संख्या में पार्टी के नेता मौजूद रहे। बीते दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय की मुताबिक बाँके बिहारी मंदिर के चारों तरफ कारीडोर निर्माण के लिए कोर्ट ने झंडी दे दी है। इस निर्णय के बाद से बीजेपी पार्टी की प्राथमिकता में यह कारीडोर भी शामिल हो गया है। जनवरी महीने में अयोध्या में श्रीराम मंदिर के औपचारिक उदघाटन के बाद पार्टी इस पर ध्यान केन्द्रित करेगी और लोकसभा चुनाव तक कारीडोर की जमीनी रूपरेखा तैयार भी कर देगी। सियासी जानकारों की माने तो बीजेपी के लिए राम के बाद अब केशव यानि कान्हा लोकसभा चुनाव में खेवनहार साबित हो सकते हैं। क्योंकि भगवान श्रीराम की जन्मभूमि विवाद के बाद से लगातार बीजेपी देश की आवाम को यह समझाने में कामयाब रही है कि वो देश में सनातन धर्म की इकलौती पक्षधर पार्टी है। उसी ने गंभीरता से पैरवी कर न केवल कोर्ट में मामले का निस्तारण कराया बल्कि जन्मस्थल पर भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण भी पूरा कराया। इतना ही नहीं काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिए आलीशान कारीडोर का निर्माण कराया।

आज काशी आने वाले हर श्रद्धालु के जेहन में कारीडोर की भव्यता के साथ बीजेपी सरकार की धार्मिक-आध्यात्मिक जीजीविषा भी झलकती है। कोर्ट से केशव की लीलानगरी ब्रजभूमि में कारीडोर निर्माण की अनुमति मिलने के बाद श्रीकृष्ण की धरती पर चल रही बीजेपी और सपा की राजनीतिक गतिविधियां और तेज हो जाएंगी। ऐसा कर ये पार्टियां लोकसभा चुनाव की पटकथा तैयार कर रही है। सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव पिछले दिनों वृंदावन में कार्यकर्ता सम्मेलन में अपने को श्रीकृष्ण का भक्त बताया था। बीते सप्ताह महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का श्रीकृष्ण जन्मभूमि पहुंचना, मुख्यमंत्री योगी की मथुरा दौड़, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मीराबाई के 525वी जयंती समारोह में मथुरा पहुंचना और 28 नवंबर को फरह में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का प्रस्तावित कार्यक्रम बीजेपी –सपा के सियासी एजेंडे की तस्वीर साफ करने के लिए काफी है। इसके अलावा चर्चित नारा जो राम को लाएं हैं, वह श्रीकृष्ण को भी लाएंगे भी दावे को पुख्ता करते हैं। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह का भी मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मथुरा-वृंदावन  संबंधी एजेंडा सियासत के केंद्र में रहेगा और केशव यानि कान्हा बीजेपी के सियासी खेवनहार बनेंगे।

 

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