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May 1, 2024
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बोली से फंसे बड़बोले राजभर !

By Shakti Prakash Shrivastva on April 8, 2024
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

 पुरानी कहावत है कि मुंह से निकली बोली और बंदूक से निकली गोली कभी वापस नहीं होती। इसलिए मुंह से शब्द निकालते समय विचार अवश्य करना चाहिए।  मौजूदा सियासी परिदृश्य के लिए भी यह  पूरी तरह प्रासंगिक लगती है। ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव की दुदुंभी बज चुकी है इस सियासी तस्वीर को समझने के लिए सूबे की चर्चित सीटों में शुमार घोसी लोकसभा सीट के माहौल में चलना होगा। जहां बीजेपी गठबंधन के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानि सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर गठबंधन के प्रत्याशी हैं। अपने बेटे अरविंद राजभर को घोसी लोकसभा जिताने के लिए ओम प्रकाश राजभर हरेक चुनावी पैंतरा आजमा रहे हैं। चाहें प्रधानों को मीटिंग के बहाने अपने पाले में करने की जोर आजमाइश हो या फिर जनता के बीच अपने पूर्व में दिए गए बयानों पर माफीनामा हो। सबसे अहम बात ये है कि ओम प्रकाश राजभर का अतीत इस बात का गवाह है कि वो आए दिन बड़बोले बयान देने की वजह से खासे चर्चा में बने रहते है। लेकिन यही चर्चा इन दिनों राजभर के बेटे के सियासी भविष्य के रोड़ा बन रहा है। राजभर द्वारा पूर्व में दिए गए ऐसे बयान इन दिनों चुनाव प्रचार के दौरान राजभर की पेशानी पर बल डाल रहे है। उन्हे अपने बयानों से उपजी परिस्थितियों को सामान्य करने में परेशानी हो रही है।  कई स्थानों पर तो स्थितियाँ इतनी असहज हो जा रही है कि उन्हे स्थान बदलना य ये कहें भागना पड जा रहा है।

घोसी संसदीय क्षेत्र में ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे अरविन्द राजभर को चुनाव जिताने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हुए दिख रहे हैं। लेकिन सारे सियासी दाँव-पेंच आजमाने के बावजूद भी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं। इसका प्रमुख कारण ओम प्रकाश राजभर के द्वारा पूर्व में दिए गए बयानों को माना जा रहा है। विपक्ष में रहने के दौरान ओम प्रकाश राजभर ने अपने बयानों में एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मठ भेजने का दावा किया था तो वहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं को वोट मांगने पर दौड़ाकर मारने की अपील भी जनता से की थी। ऐसे में बीजेपी कार्यकर्ता राजभर से खासे नाराज देखे जा रहे हैं। हाल के दिनों में मुख्तार अंसारी की मौत के बाद घोसी की सियासत और गरमा गई है। इसका प्रमुख कारण है कि बीजेपी एक तरफ यूपी से माफिया राज के सफाया होने का दावा कर रही तो वहीं उनके सहयोगी घटक सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मुख्तार को गरीबों का मसीहा और क्रांतिकारी बताने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। मतदाताओं में यह संदेश भी तेजी से पहुँच रहा है कि जो राजभर प्रदेश में माफियाराज समाप्त करने को संकल्पित योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री है। वो आखिर ऐसा क्यों कर रहे हैं। जबकि सच्चाई ये है कि माफिया मुख्तार अंसारी का बड़ा बेटा अब्बास अंसारी उन्ही की पार्टी से विधायक है।

जब घोसी में बीजेपी कार्यकर्ताओं की नाराजगी वाली बात पार्टी हाइकमान तक पहुंची तो हाइकमान ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को इस मामले के वाजिब निदान की जिम्मेदारी सौंपी। ब्रजेश पाठक ने भी अपने दायित्व का बखूबी निर्वहन किया। उन्होंने मऊ पहुँचकर एनडीए प्रत्याशी अरविन्द राजभर से माफी मंगवाकर दोनों दलों के कार्यकर्ताओं का गिला शिकवा दूर करने का प्रयास किया।

माफीनामे के इस प्रयास को एक तरफ बीजेपी जहां अपनी संस्कृति से जोड़कर बड़ों का सम्मान बता रही तो वहीं विपक्ष इसको राजभर जाति का अपमान और बीजेपी की नौटंकी बता रहा है। सपा नेता और घोसी से सपा प्रत्याशी राजीव राय ने तो इस माफीनामे को पूरी तरह से नौटंकी करार कर दिया है। उन्होंने कहा कि करे कोई और भरे कोई, लेकिन सारे दावों और बयानों के बाद एक बात तो स्पष्ट है कि घोसी का विजेता चाहें जो भी हो, लेकिन वर्तमान संग्राम में कहीं न कहीं घोसी लोकसभा की सीट ओम प्रकाश राजभर के बडबोलेपन के चलते सुभासपा के गले की फांस जरूर बन गया है।

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