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महाराष्ट्र : क्या शिवसेना की तरह कांग्रेस में भी होने जा रही है टूट, BJP के संपर्क में हैं विधायक

By Shakti Prakash Shrivastva on September 3, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

महज दो महीने का समय बीता है और महाराष्ट्र में एक और सियासी भूचाल की आहट सुनाई देने लगी है। इस बार इसका केंद्र शिवसेना नहीं बल्कि कांग्रेस है। वैसे भी कांग्रेस के लिए मौजूदा समय ठीक नही चल रहा है। यही वजह है कि महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक पार्टी से नाखुश है। जब प्रदेश में महाअघाडी गठबंधन की सरकार थी। तब भी कांग्रेसी विधायकों ने अपने आलाकमान को अपने और अपने क्षेत्र की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया था। इस बाबत सोनिया गांधी से मिलकर नाराजगी भी जाहिर किया था। इस पर भी कुछ न होने से विधायक असंतुष्ट थे। मौजूदा स्थिति में अपने भविष्य को लेकर भी वो चिंतित हैं। ऐसे में उनका हित सिर्फ बीजेपी में दिख रहा है। इधर कुछ दिनों से असंतुष्ट विधायक उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता देवेन्द्र फड़नवीस के संपर्क में भी है। सियासी जानकारों की मानें तो सोमवार को राज्य के प्रस्तावित दौरे पर आ रहे गृहमंत्री अमित शाह के आगमन पर कुछ हलचलें बढ़ सकती है। मामले पर कुछ अंतिम निर्णय के भी कयास लगाए जा रहे हैं।

हाल की गतिविधियों पर गौर करें तो ये स्थिति और स्पष्ट हो जाती है। जून में जब राज्य में विधान परिषद के चुनाव हुए तो उसमे कांग्रेस के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए फ्लोर टेस्ट में भी कांग्रेस के दस विधायक गायब रहे थे। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, जितेश अंतापुरकर, जीशान सिद्दीकी, प्रणति शिंदे, विजय वडेट्टीवार, धीरज देशमुख, कुणाल पाटिल, राजू आवाले, मोहनराव हम्बर्दे और शिरीष चौधरी शामिल रहे। इन सभी में तीन नाम ऐसे हैं जिनका विरोध कांग्रेस को खासा नुकसान पहुंचा सकता है। मसलन अशोक चव्हाड राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। इनके पिता शंकरराव चव्हाड भी मुख्यमंत्री रहे हैं। प्रणति शिंदे पूर्व मुख्यमंत्री सुशील शिंदे की बिटिया है और तीसरे धीरज देशमुख पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे हैं। ये तीनों ही अपने-अपने इलाके में इतना प्रभाव रखते है कि अपने और इर्द-गिर्द के दस से अधिक विधानसभा सीटों पर परिणाम प्रभावित कर सकते हैं। अगर ये असंतुष्ट विधायक बीजेपी में शामिल होते है तो इनके क्षेत्रो में बीजेपी को फायदा पहुँच सकता है। इन क्षेत्रों में जहां बीजेपी आज तक अपना खाता भी नही खोल सकी है वहाँ इनकी वजह से फायदा हो सकता है।

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