Responsive Menu
Add more content here...
May 1, 2024
ब्रेकिंग न्यूज

Sign in

Sign up

मिशन बीजेपी : सपना ‘वंशवाद मुक्त’ भारत !

By Shakti Prakash Shrivastva on July 6, 2022
0 171 Views

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

देश की सरकार पर काबिज होने पर बीजेपी ने कांग्रेस मुक्त भारत का एक नारा दिया था। काफी हद तक उसे सफलता भी मिली। कई ऐसे राज्य जो कांग्रेस के गढ़ हुआ करते थे वहाँ से उसकी जमीन उखड़ गयी। आनेवाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पिछले कुछ दिनों से बीजेपी की जो रणनीति दिखाई दे रही है उससे लगता है की बीजेपी ने अपना एजेंडा कांग्रेस मुक्त भारत संशोधित करते हुए अब वंशवाद मुक्त भारत का कर दिया है। इस एजेंडे के तहत बीजेपी उन राज्यों को शुरुआती दौर में टार्गेट कर रही है जहां राजवंशी परंपरा से शासन चल रहा है। इस जद में उत्तर और दक्षिण भारत के कई राज्य उसके प्राथमिकता में हैं। इस संदर्भ में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड़ड़ा ने अपने वक्तव्य में सीधा इशारा पहले ही कर चुके हैं। कांग्रेस का नाम लिए बगैर उन्होने कहा था कि देश की सबसे पुरानी पार्टी लुप्त होने की कगार पर है। वंशवाद की डगर पर चल रहे क्षेत्रीय दलों के पास भी नीतियों और सिद्धांतों का घोर संकट है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों में आपसी मतभेद का भरपूर फायदा बीजेपी को मिल रहा है। बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से राष्ट्रवाद के साथ-साथ ही कांग्रेस मुक्त भारत के एजेंडे पर फोकस किया था। उसका अच्छा-खासा फायदा बीजेपी को मिला। देश में एक वर्ष से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन का भी फायदा कांग्रेस या समूचा विपक्ष नहीं ले पाया। जब पांच राज्यों के चुनाव सिर पर आ गए तो केंद्र सरकार ने सोची समझी रणनीति के तहत तीनों कृषि कानून वापस ले लिये। इसका परिणाम ये रहा कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बीजेपी ने दोबारा से सत्ता में वापसी की। पीएम मोदी ने पार्टी के 42वें स्थापना दिवस पर कहा था, अभी इस देश में राजनीति करने के दो ही तरीके हैं। एक, परिवार की भक्ति वाली राजनीति और दूसरा, राष्ट्रभक्ति की भावना वाली राजनीति। राष्ट्रीय स्तर पर और कुछ राज्यों में ऐसे दल हैं जो परिवारवाद के लिए काम करते हैं। वहां भ्रष्टाचार होता है तो उसे वंशवाद की आड में छिपा देते हैं। ऐसे लोग संसद से लेकर स्थानीय निकाय तक, अपना प्रभुत्व बनाए रखने जुगत में लगे रहते हैं। कहीं न कही बीजेपी के इसी नए एजेंडे की ही देन है कि बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन हैदराबाद में किया गया। पार्टी का प्रयास है कि 2024 में दक्षिण भारत में वंशवाद को आगे बढ़ा रहे कई किले ढाह दिए जाएं। इससे पहले पार्टी जम्मू कश्मीर में वंशवाद पर गहरी चोट का सफल प्रयोग कर चुकी है। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी को खासा नुकसान हुआ। हरियाणा में इनेलो से अलग हुई जजपा, बीजेपी के साथ सरकार में शामिल है। पंजाब में अकाली दल और उत्तर प्रदेश में बसपा का हाल किसी से छुपा नहीं है। पिछले दिनों हुए लोकसभा के उपचुनाव में सपा की भी कलाई खुल गयी। महाराष्ट्र में चाणक्यीय घटनाक्रम में शिवसेना को सत्ता से बाहर किया जा चुका है। महाराष्ट्र की कहानी अब बिहार में दुहराने की कवायद शुरू हो चुकी है। तेलंगाना में भी मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव के लिए दोबारा सत्ता में वापसी की राह आसानी नहीं है। कर्नाटक के बाद अब बीजेपी, दक्षिण भारत के दूसरे राज्यों में पांव पसारने की रणनीति पर काम कर रही है। राजनीति के जानकारों का स्पष्ट मानना है कि देश में बीजेपी की राजनीतिक सफलता में जितना योगदान पार्टी के रणनीति कारों का है उससे अधिक योगदान कांग्रेस और क्षेत्रीय विपक्षी दलों के बीच एका का अभाव का होना है। इससे बीजेपी को फ्रंट फुट पर खेलने का मौका मिल रहा है। एक समय ऐसा भी था जबकि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में यूपीए ने 2004 और 2009 में क्षेत्रीय दलों के सहयोग से ही सरकार बनाई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुताबिक क्षेत्रीय पार्टियां जातिवादी हैं जबकि कांग्रेस एक राष्ट्रीय दल है। बीजेपी का मुक़ाबला कांग्रेस ही कर सकती है न कि छोटे क्षेत्रीय दल। हालांकि क्षेत्रीय दलों की मौजूदगी के बावजूद राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों की आपसी कटुता की जो तस्वीर सामने आई है वो भारतीय लोकतन्त्र के लिए काफी दुखद है। 1996 के दौरान संसद में क्षेत्रीय दलों की हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक था। जो 1999 में घटकर 48 फीसदी रह गई। वर्ष 2009 आते-आते यह लगभग 53 फीसदी तक बढ़ गई। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में इनका मत प्रतिशत 13.75 तक सिमट गया। राजनीति के जानकारों का मानना है कि आदर्श लोकतन्त्र में मजबूत विपक्ष का अहम स्थान है। वो लोकतंत्र की गति को लयमान रखता है। देश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न होने पर इसकी भूमिका और अहम हो जाती है। लेकिन आज देश में विपक्ष की स्थिति दयनीय हो गयी है। आठ से ज्यादा राज्यों में बीजेपी सत्ता परिवर्तन कराने में सफल हो जाती है और विपक्ष मजबूर लाचार बना है। एक समय था जब पूर्व पीएम इंदिरा गांधी भी इसी फार्मूले को फालों करती थी। विपक्ष को बिखराव की स्थिति में बनाए रखो। आज यदि बीजेपी सफल है तो उसकी वजह विपक्ष है। विपक्ष का आलम ये है कि न ममता बनर्जी को राहुल गांधी की बात समझ में आती है और न ही ममता को राहुल गांधी की। कोई नेता किसी को फालों करने को तैयार नहीं है। इसी का फायदा बीजेपी उठा रही है। आप ने देखा होगा कि जब पिछले दिनों राहुल गांधी को ईडी ने तलब किया था तो विपक्षी दलों के ट्वीट तक नहीं आए थे। ऐसे में कांग्रेस मुक्त भारत के बाद बीजेपी अब क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने की नीति पर आगे बढ़ रही है। हालात उसको सुअवसर भी दे रहा है। आने वाले दिनों में वंशवाद मुक्त भारत के साथ-साथ विपक्ष मुक्त भारत का भी मुगालता बीजेपी पाल सकती है। देश की मौहूदा राजनीतिक हालात का विश्लेषण करें तो लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की हालत और पतली हो जाये।

 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *