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पूर्वाञ्चल में बारिश और बाढ़ : गोरखपुर पर रहम प्रयागराज में कोहराम

By Shakti Prakash Shrivastva on August 29, 2022
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पूर्वाञ्चलनामा न्यूज, प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से यानि पूर्वाञ्चल में बारिश और बाढ़ की बात करे तो उसने इस बार अपना अलग रूप दिखाया है। गोरखपुर में जहां ग्यारह सालों में सबसे कम बारिश हुई है वहीं प्रयागराज में बारिश और बाढ़ ने कोहराम मचा रखा है। गोरखपुर और आस-पास के इलाकों में हालांकि गुरुवार और शनिवार को बारिश हुई लेकिन इलाके के किसानों को अभी भी राहत वाली बारिश की दरकार है। किसानों को धान की फसल बचाने के लिए प्रति हेक्टेयर 2500 से 3000 हजार रुपये खर्च करने पड रहे हैं। बहुतेरों की खेतों में दरारें आ गयी हैं। सूखे की स्थिति है। उन्हे इस बात की चिंता खाये जा रही है कि यदि ऐसा ही रहा तो फसल खासकर धान का क्या होगा। गोरखपुर में अमूमन 1 से 10 जुलाई के बीच 100 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो जाती है लेकिन इस बार जिले में अब तक केवल 11 मिलीमीटर बारिश हुई है। इससे पहले 2010 में 17 मिलीमीटर बारिश हुई थी। वहीं साल 2020 में 1 से 10 जुलाई के बीच 203 और 2021 में 109.8 मिलीमीटर बारिश हुई थी। लेकिन प्रयागराज में स्थितियाँ इससे इतर हैं। वहाँ गंगा-यमुना कहर बरपा रही हैं। ये नदियां अपने खतरे के निशान से एक मीटर से भी ऊपर बह रही हैं। इलाकाई रिहायश पूरी तरह तबाह है। इन नदियों के कछार इलाके में अब तक पाँच लाख से अधिक परिवार बाढ़ की चपेट में हैं। गंगा-यमुना-सरस्वती नदियों की मिलन स्थली संगम के किनारे बना प्रसिद्ध बड़े हनुमानजी का मंदिर पूरी तरह जलमग्न हो गया है। बड़ी तादाद में प्रभावित या तो रिश्तेदारों के यहाँ चले गए है या फिर राहत शिविरों में। गऊघाट इलाके में मकानों की पहली मंजिल डूब चुकी है। रविवार की रात बाढ़ नियंत्रण कक्ष की ओर से आठ बजे जारी बुलेटिन के मुताबिक, गंगा-यमुना एक-एक सेंमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रही हैं। इस अवधि तक फाफामऊ में गंगा 85.83 मीटर और नैनी में यमुना 85.83 मीटर के निशान पार कर बह रही है। इन स्थानों पर खतरे का निशान 84.73 मीटर है। राहत भारी खबर ये है कि यमुना की सहायक नदियों केन ,बेतवा और चंबल के जलस्तर में कमी दर्ज की जा रही है। लेकिन गंगा नदी से जुड़ी ऐसी कोई खबर नही है। बल्कि गंगा में बैराजों से रविवार को भी पानी छोड़ना पड़ा है। सिंचाई विभाग की बाढ़ खंड यूनिट के अधिकारों की माने तो हरिद्वार बैराज से 38,448 क्यूसेक, नरोरा बैराज से 28,701 क्यूसेक और कानपुर बैराज से 1,28,396 क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया है। सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता सिद्धार्थ कुमार सिंह की मुताबिक सोमवार तक जलस्तर स्थिर होने की उम्मीद है। कहा जा रहा है कि अगर पहाड़ों पर फिर तेज बारिश नहीं हुई और जल दबाव फिर से नहीं बढ़ा तो अगले 24 घंटे में गंगा-यमुना शांत हो सकती हैं। गंगा नदी की चपेट में आने से मोती लाल का पूरा व बुद्धू का पूरा, महाराजपुर, नरहा, दादनपुर, अलीमपुर, दानिशपुर, झिंगहा का संपर्क मार्ग पानी में डूब चुका है। जबकि दादनपुर, नरहा, झिंगहा आदि गांवों से सहित सिंघापुर, शहजादपुर, मटरू का पूरा आदि गांवों के किनारों पर पानी पहुंच गया है। इसके साथ ही हजारों एकड़ की फसल डूब गई है। बाढ़ को देखते हुए बिजली विभाग ने इन गांवों विद्युत आपूर्ति ठप कर दी है। शनिवार की देर रात मोती लाल का पूरा, महराजपुर, बुद्धू का पूरा नरहा आदि गांवों के लिए पांच नावें गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। सोमवार तक मकदूमपुर और शहजादपुर चौराहा के साथ ही गुलकइयापुर, भीखपुर में भी बाढ़ का पानी पहुँचने की उम्मीद है। क्षेत्र के बबुरा, कटका, लटकहां, मनैया, हथसरा, पनासा, डीहा सहित अन्य गांवों में भी पानी पहुंच गया है। यमुना नदी में लगातार उफान के कारण घूरपुर क्षेत्र के बसवार, बीकर, इरादतगंज, देवरिया, कंजासा, बिरवल, जगदीशपुर में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। कंजासा गांव बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित है। तीन सौ से अधिक परिवार बाढ़ की चपेट में है। इनमें से 180 परिवारों ने घर छोड़कर राहत शिविरों व नाव में शरण ली है। प्रशासन की तरफ से राहत और बचाव कार्य किए जा रहे हैं। एनडीआरएफ की भी कई टीमें बचाव कार्य में लगी हुई हैं। इस तरह महज गोरखपुर और प्रयागराज की 250 किलोमीटर की दूरी पर प्रकृति का अलग-अलग मंजर बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है। कहीं न कहीं ये ग्लोबल वार्मिंग का जमीनी संकेत तो नही।

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