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साल भर की बजाय छः महीने ही क्यों रहेंगे पाँचूराम बार काउंसिल के अध्यक्ष?

By Shakti Prakash Shrivastva on February 2, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के नियमावली के तहत काउंसिल के अध्यक्ष का कार्यकाल साल भर के लिए निर्धारित है। लेकिन मौजूदा अध्यक्ष का कार्यकाल महज छः महीने ही होगा। पहली फरवरी से जिस पाँचूराम मौर्य ने काउंसिल अध्यक्ष का कार्यभार संभाला है। उनका कार्यकाल महज छः महीने का ही होगा। जबकि अन्य का कार्यकाल साल भर ही रहेगा। यहाँ यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि ऐसा क्यों। इस वाजिब प्रश्न का जवाब भी वाजिब है। हुआ ये कि पिछले वर्ष जुलाई माह में जब उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के कार्यकारिणी का चुनाव हुआ था। तो उस चुनाव में अध्यक्ष पद के दो दावेदारों गोरखपुर के मधुसूदन त्रिपाठी और इलाहाबाद के पाँचूराम मौर्य को बराबर-बराबर यानि 13-13 मत मिले थे। बराबर मत मिलने पर बार काउंसिल के सदस्य और निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने दोनों को ही संयुक्त रूप से अध्यक्ष निर्वाचित घोषित कर दिया था। इस परिणाम पर आपसी सहमति से यह तय हुआ कि दोनों का कार्यकाल छः-छः महीने के लिए होगा। इस समझौते के तहत यह भी तय हुआ कि 1 अगस्त 2022 से 31 जनवरी 2023 तक मधुसूदन त्रिपाठी और 1 फरवरी 2023 से 31 जुलाई 2023 तक पाँचूराम मौर्य अध्यक्ष पद पर रहेंगे। 31 जनवरी 2023 को मधुसूदन त्रिपाठी का कार्यकाल समाप्त होने पर पहली फरवरी से पाँचूराम मौर्य अध्यक्ष हो गए। पहली फरवरी को ही पदभार ग्रहण कर चुके श्री मौर्य अब 31 जुलाई 2023 तक बतौर अध्यक्ष अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे। श्री मौर्य मूलत: जौनपुर जिले के निवासी हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता हैं। श्री मौर्य के अलावा कार्यकारिणी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के ही अधिवक्ता राकेश पाठक सचिव हैं। जबकि जय नारायण पाण्डेय उपाध्यक्ष हैं। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल कार्यकारिणी का कार्यकाल 31 जुलाई 2023 तक होगा। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल मूलतः अधिवक्ताओं को विधिक तौर पर अधिवक्ता होने का पंजीकरण कर लाइसेंस निर्गत करती है। इसके अलावा अधिवक्ताओं के हितार्थ कार्य करती है साथ ही उनके खिलाफ शिकायतों की सुनवाई भी करती है। इतना ही नहीं आवश्यकतानुसार उनके खिलाफ विधिक अनुशासनात्मक कार्रवाई भी सुनिश्चित करती है।

 

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