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‘अग्निपथ’ पर उबाल : गुमराह हो रहे है बेरोजगार युवा….

By Shakti Prakash Shrivastva on June 18, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

केंद्र सरकार ने एक लंबे अरसे बाद देश के युवाओं के रोजगार का ख्याल रखते हुए अग्निपथ योजना की घोषणा की। इस योजना में अग्निवीर कहलाने वाले इन बेरोजगार युवाओं को चार साल तक वेतनमद में कई लाख की धनराशि दिए जाने का प्रावधान है। केंद्र और राज्य सरकारों ने भी अपनी भर्तियों में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। रक्षा मंत्रालय अपने दस फीसद पदों को इनके जरिए भरेगा। पैरा मिलिट्री और पुलिस भर्ती में भी इन अग्निवीरों को प्राथमिकता मिलेगी। अपना रोजगार करने के इच्छुक अग्निवीरों को बैंकों से कर्ज भी मिलेगा। इतने सब सुविधाओं के बावजूद बेरोजगार युवाओं का इस तरह से देशव्यापी धरना-प्रदर्शन करना सामान्य समझ से परे है। क्या पश्चिम बंगाल, क्या पंजाब और क्या देश के अन्य हिस्से हर जगह हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है। वो भी ऐसे कालखंड में जब कि इंटर के बाद सर्वमान्य स्तरीय रोजगार परक शिक्षा बीटेक की पढ़ाई में चार साल का समय, फीस और हास्टल मद में लाखों रुपये खर्चने के बाद युवा दर-दर भटकने को मजबूर है। इनमें दस फीसद को यदि नौकरी भी मिल रही है तो उनमें भी अधिकांश की तनख्वाह दस-पंद्रह हजार रुपये मासिक के इर्द-गिर्द रहती है। ऐसे में तो युवाओं को सरकार की इस योजना को स्वीकारते हुए सरकार का आभार व्यक्त करना चाहिए। यही मानकर करना चाहिए कि सरकार हमें तकनीकी शिक्षा के बाद मिलने वाली एक साल की अप्रेंटिस अवधि को एक की बजाय चार साल कर रही है। वो भी अग्निपथ योजना में तो गैर तकनीकी शिक्षा वाले युवाओं को भी सुविधा मिल रही है। समझने के लिए ऐसे भी समझा जा सकता है कि अप्रेंटिस काल में मिलने वाला मानदेय वेतन नहीं है लेकिन उसकी स्वीकार्यता इसलिए है कि सरकार कम से कम एक साल नौकरी मिलने से पूर्व तकनीकी ज्ञान का अनुभव मुहैया कराती है। प्रदर्शनकारी इन युवाओं को यह मानना चाहिए कि यहाँ तो सरकार आर्थिक मदद के साथ-साथ सेना सहित कई नौकरियों में वरीयता भी दे रही है। अपने व्यक्तिगत व्यापार करने के लिए भी कर्ज आदि की भी सहायता दे रही है। अग्निपथ योजना की इतनी सारी अच्छाइयों के बाद भी देश का युवा यदि इस तरह उग्र और हिंसक प्रदर्शन कर रहा है तो ऐसा लगता है कि वो योजना के लाभ से नावाफ़िक कहीं न कही गुमराह हो रहा है। सामाजिक चिंतक राजेश श्रीवास्तव भी मानते है कि युवाओं के इस आंदोलन में समाज के साजिशकर्ताओं की घुसपैठ हो गई है। हालांकि इन सबसे इतर कुछ लोगों का मानना है कि अपने भविष्य को लेकर चिंतित युवाओं का यह आक्रोश जायज है। वरिष्ठ पत्रकार राजेश श्रीनेत का मानना है कि युवाओं के साथ कहीं न कही गलत हो रहा है। उन्होंने अग्निवीरों के इस हिंसक विरोध को अपरिपक्वता का परिचायक बताते हुए इनकी तुलना किसान आंदोलन से किया। उनके मुताबिक किसान परिपक्व थे लिहाजा उनके आंदोलन का स्तर अलग था जबकि अग्निवीरों का आंदोलन अपरिपक्वता के नाते उनसे अलग है। उनकी मुताबिक सरकार का जल्दबाजी में लिया गया यह गलत निर्णय है।

 

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