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UP कांग्रेस : नैया पार लगाने के लिए ब्राह्मण या ओबीसी बनेंगे पतवार

By Shakti Prakash Shrivastva on April 17, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों अपने वजूद बचाने की संकट से जूझ रही है कांग्रेस। कुछ समय का तकाजा कह ले या भाग्य का असहयोग कि पार्टी की तरफ से बीते डीनो जो भी प्रयोग किए जा रहे है वो गलत ही साबित हो रहे है। पिछले चुनाव मे समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हो या किसी और दल से किसी ने भी अपेक्षित सफलता नहीं दिलाई। ले देकर कांग्रेस के पास ट्रम्प कार्ड के रूप में कांग्रेस महसचिव प्रियंका गांधी ही रह गयी थी उन्हे भी प्रदेश का प्रभारी बना कर पार्टी ने देख लिया। स्थितियाँ सुधरने की बजाय बद से बदतर होती जा रही है। इस बार यानि 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रियंका की अगुवाई में हर संभव प्रयास किया जिससे स्थितियाँ कुछ बेहतर हो लेकिन उसे महज दो सीटों पर विजय से संतोष करना पड़ा। इनमे भी दोनों की विजय में कांग्रेस पार्टी या उसकी छवि का कही कोई रोल नहीं है। महराजगंज की फरेंदा सीट से जीते वीरेंद्र चौधरी का व्यक्तित्व और क्षेत्र में इमेज साथ ही कई चुनाव हारने से उपजी सिंमपैथी मुख्य वजह थी। वही दूसरी सीट प्रतापगढ़ की रामपुर एक ऐसी सीट है जहां कहा जाता है कि प्रमोद तिवारी का कोई प्रतिनिधि भी लड़ जाये तो वो जीत जाएगा। यानि दोनों ही सीटे व्यक्तित्व प्रभाव से पार्टी के खाते में आयीं। कांग्रेस जैसी कद्दावर और लंबे अरसे तक राज्य और देश की राजनीति में वर्चस्व रखने वाली पार्टी होने के बावजूद यह पर्फार्मेंस कही न कही उसके बचे हुए काडर और कार्यकर्ताओं को अब हताश कर रही है। यदि पार्टी हाइकमान ने समय रहते कुछ परिणाम दायी प्रयास नहीं किया तो प्रदेश में पार्टी के अस्तित्व का संकट और गहरा जाएगा। हालांकि पार्टी के महासचिव और पूर्व केन्द्रीय मंत्री भँवर जीतेंद्र सिंह ने लखनऊ में पार्टी पदाधिकारियों से विधानसभा चुनाव में हुई हार की जमीनी कारणों को तलाशने की शुरुआत कर दी है। उनकी मुताबिक इसी तरह पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मिलने  का सिलसिला वाराणसी और झांसी में भी की जाएगी। सरी सिंह की मुताबिक समीक्षा के बाद पार्टी प्रदेश की कमान इस बार किसी ब्राह्मण को देने पर विचार कर रही है। हालांकि कुछ का ऐसा भी मानना है कि ब्राह्मण की जगह किसी ओबीसी चेहरे को लाया जाए। जमीनी परिणाम को भी देखें तो पार्टी के पास जो दो सीटें आई है वो भी ब्राह्मण और ओबीसी से ही है। इसलिए भी शायद पार्टी का आलाकमान ऐसे प्रयोग करने का मन बना सकती है। बीजेपी और सपा की अपेक्षाकृत मिली सीटों में भी जिस तरह ब्राह्मण या ओबीसी का रोल रहा है पार्टी उसे भी ध्यान मे रखे हुए है। इस तरह सूत्रों की माने तो निकट भविष्य में मिलने वाला पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष या तो कोई ब्राह्मण होगा या ओबीसी से कोई होगा। हाल की गतिविधियों को देखने से ऐसा लगता है कि पार्टी एक बार फिर चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर की शरण में जा सकती है। जिस तरह से बीते दिनोनो प्रशांत किशोर की मुलाक़ात कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से हुई है उससे इस तरह की खबरों को बल मिल रहा है।

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