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सियासत में वापसी के लिए BSP को मुस्लिमों का सहारा

By Shakti Prakash Shrivastva on April 5, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिले  शर्मनाक हार से उबरते हुए बीएसपी सुप्रीमो मायावती निकाय चुनावों में एक नए उत्साह के साथ उतरना चाहती है। इसके लिए उन्होंने कई नई योजनाएं भी बनाई हैं। इस बार पार्टी बेहतर परिणाम के लिए दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिश में लगी है। प्रयास के लिए वाजिब रणनीति बनाने के बावजूद पार्टी मुस्लिम वोटरों को लेकर बहुत मुतमइन नहीं है। क्योंकि पिछले दिनों गांव चलो अभियान में बीएसपी ने इसी समीकरण पर मुख्य फोकस किया था लेकिन इसका सार्थक परिणाम नहीं मिला। वैसे बीएसपी के लिए 2022 का विधानसभा चुनाव बेहद खराब रहा। इस चुनाव में बीएसपी से मुस्लिम वोटर तो कटे ही, दलित भी दूरी बनाते दिखे। यह स्थिति तब थी जबकि चुनाव में बीएसपी ने 60 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा था। हालांकि एक को भी जीत नहीं मिली। इसका मुख्य कारण मुस्लिम वोट बैंक का सपा की ओर आकर्षित होना था। पूरे प्रदेश में बीएसपी को एकमात्र सीट मिली। हालांकि अभी भी मुसलमानों का झुकाव समाजवादी पार्टी की तरफ ज्यादा नजर आ रहा है।

प्रदेश में होने वाले 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका परिषद और 544 नगर पंचायतों के चुनाव में बीएसपी एक बार फिर मुस्लिमों को जोड़ने का प्रयास करने जा रही है। मुस्लिम समाज के कई नेताओं को बीएसपी से जोड़ा भी गया है। इनमें पश्चिमी उप्र से इमरान मसूद को समाजवादी पार्टी से बीएसपी में शामिल कराया गया है। साथ ही उन्हें पश्चिमी उप्र में मुस्लिमों को जोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है। एआईएमआईएम से भी कुछ लोगों को जोड़ा गया है। माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता भी बीएसपी में हैं। हालांकि वह उमेशपाल हत्याकांड में नामजद होने के कारण फरार हैं। इस बार बीएसपी कई सीटों पर फिर से मुस्लिम कार्ड खेल सकती है। जिन सीटों पर दलित और मुस्लिम ज्यादा हैं वहां इसकी मशक्कत की जा रही है। पिछले चुनाव में महापौर की दो सीटें बीएसपी जीती थी तो दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी। चूंकि अलीगढ़ में तो उनका मुस्लिम प्रत्याशी उतारने का फार्मूला सफल भी रहा था। इसी तरह से आगरा और झांसी में बीएसपी ने तगड़ा मुकाबला किया था। अब इसी तरह से नगर पालिका परिषद और नगर पंचायत की विभिन्न सीटों पर बीएसपी यही कार्ड खेलने की तैयारी कर रही है। कोआर्डिनेटरों से कहा गया है कि मुस्लिमों को यह समझाया जाए कि दलित मुस्लिम मिलकर ही भाजपा की राह रोक सकते हैं।

 

 

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