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मिशन यूपी : जातीय समीकरण साधने में लगा ‘सबका साथ-सबका विकास’

By Shakti Prakash Shrivastva on January 3, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                  केंद्र और उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी का नारा है सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। काफी हद तक सरकार चलाने में पिछले दिनों पार्टी केंद्र और प्रांत की योजनाओं और नीतियों में इस नारे को जमीन पर उतारने की कोशिश करती दिखी भी। लेकिन बात अगर चुनाव की की जाये तो क्या बिहार, क्या बंगाल हर जगह बीजेपी अपने इन नारों से इतर हर तरह के इलाकाई समीकरणों को साधते नजर आई है। अब उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा के आसन्न चुनाव में भी पार्टी इसी पैंतरे को फिर से साधने में लग गयी है। पार्टी के नीति नियंता भी हर जाति-वर्ग के मतदाताओं के लिहाज से पार्टी की मुहिम को धार देने में लग गए है। हिन्दुत्व और विकास सरीखे नारों को केंद्र में रख बड़ी-बड़ी बाते करने वाली पार्टी चुनावी रैलियो-सभाओं तक के लिए मुफीद जाति-वर्ग के शीर्ष नेताओं की ज़िम्मेदारी तय कर रही है। दलित वोट बैंक को हर हाल में साधने के लिए पार्टी की तरफ से उनकी सरकारे प्रधानमंत्री आवास और निःशुल्क खाद्यान वितरण जैसे कार्यक्रम जहां चला रही है वहीं श्रम सम्मान योजना और एक बटन पर अनुग्रह राशि ट्रान्सफर करने जैसी योजनाएँ भी तैयार रखी है। इसके अलावा देश के शीर्ष संवैधानिक पद पर बैठे पार्टी के ही मूल कैडर महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविद तक का इस्तेमाल पार्टी इस बाबत गाहे-बेगाहे कर रही है। दलित के बाद पार्टी अपने मूल वोट बैंक व्यापारियों और पिछड़ों को भी पूरी शिद्दत से अपने साथ बनाए रखने की कवायद में कटिबद्ध है। हालांकि पार्टी के शीर्ष दो नेता मसलन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों ही पिछड़े व्यवसायी वर्ग की नुमाइंदगी करते है। बावजूद इसके पार्टी की तरफ से वैश्य और उसकी उपजातियों को पिछड़ा वर्ग में शामिल कराने की मुहिम चलायी जा रही है। कानपुर के चर्चित बिकरू कांड के बाद से प्रदेश में गरमाई ब्राह्मण विरोधी सरकार होने के जाति विशेषी दबाव को जिस योगी आदित्यनाथ और उनके दल के शीर्ष नेतृत्व ने तब तवज्जो नहीं दिया था वही दल विधानसभा चुनाव की तिथि नजदीक आते ही ब्राह्मणों को साधने के लिएपूरी तरह से गंभीर होते दिख रही है। इसी क्रम मे आगामी 6 जनवरी को पार्टी के तेज परिवर्तनकारी विकास के पुरोधा माने जाने वाले पार्टी के कद्दावर नेता व केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी अयोध्या आ रहे है। श्री गडकरी यहाँ कई महत्वपूर्ण योजनाओं का शुभारंभ करेंगे। हालांकि गडकरी की छवि मराठी ब्राह्मण होते हुए भी ब्राह्मण नेता के रूप में मान्य नहीं है फिर भी यूपी-बिहार के चुनाव में जहां जाति पहले पूछी जाती है वहाँ इसका अपना एक अलग महत्व है। इतना ही नहीं पूर्वाञ्चल के दबंग और कद्दावर हरीशंकर तिवारी के ब्राह्मण परिवार तिवारी कुनबा (पूर्व विधान परिषद सभापति गणेश शंकर पाण्डेय, पूर्व सांसद भीष्म शंकर तिवारी और वर्तमान विधायक विनय शंकर तिवारी) के सपा में शामिल होते ही पार्टी इतनी दबाव में आ गयी कि आनन-फानन में राज्यसभा सांसद शिव प्रताप शुक्ल की अगुवाई में बकायदा न केवल ब्राह्मण मंत्रियो-सांसदो की टीम बना दी बल्कि चुनावी लिहाज से उनकी जिम्मेदारियाँ भी निर्धारित कर दी। इन सब तैयारियों और प्रयासों को देख कर लगता है कि पार्टी का सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास सरीखे नारों के मायने चुनाव के नजदीक आते ही बदलने लगे है।

 

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