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डिम्पल नहीं रहीं सिम्पल

By Shakti Prakash Shrivastva on December 9, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव की आवाज में रिपोर्ट सुनने के लिए आडियो बटन पर क्लिक करें।

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

मैनपुरी में हुए लोकसभा उपचुनाव में जिस तरह से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डिम्पल यादव ने रिकार्डतोड़ जीत हासिल की है उसने यह साबित कर दिया है कि डिम्पल अब सिम्पल नही रहीं। वो अब एक परिपक्व राजनेत्री हो गयी है। नेताजी मुलायम सिंह यादव परिवार की बहू और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की सीधी-साधी सुसंस्कारित सी सदैव हिन्दुस्तानी लिबास में रहने वाली पत्नी डिम्पल ने इस चुनाव के दौरान ऐसे-ऐसे कार्य-व्यवहार का इजहार किया है जिसने न केवल यादव कुनबे को एकजुट करने में मदद की बल्कि एक तरह से समाजवादी पार्टी के अस्तित्व को बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। क्योंकि नेताजी की गैरमौजूदगी में मैनपुरी का यह उपचुनाव पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का चुनाव बन गया था।

उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में दमदारी से चुनाव लड़ने वाली समाजवादी पार्टी ने सीटें तो जीतीं लेकिन न तो सरकार बनाने में कामयाब हुए और न ही औरा या प्रभाव। क्योंकि चुनाव बाद पार्टी का प्रभाव इतना सामान्य रहा कि उनके ही सिंबल पर चुनाव जीते सगे चाचा शिवपाल ने पार्टी से दुबारा बगावत कर दी और अपनी पार्टी प्रसपा के प्रसार में लग गए वहीं सहयोगी बनकर चुनाव लड़े सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने भी सपा से दूरी बना ली। लेकिन मैनपुरी उपचुनाव में डिम्पल ने अपने बहू होने का भावनात्मक हवाला दे चाचा शिवपाल को न केवल वापस अपने साथ लायी बल्कि सत्ता के इशारे पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग किए जाने की शिकायतों के बीच लगभग तीन लाख के अंतर से मैनपुरी लोकसभा की तीसरी ऐतिहासिक जीत भी दर्ज की। जिस जीत ने तेवर वाली योगी सरकार में सुस्त पड़े पार्टी कार्यकर्ताओं में नया जोश भरने का काम तो किया ही साथ ही बीजेपी की प्रतिष्ठा को सीधी चोट पहुंचाते हुए पार्टी सहित समूची योगी सरकार को आत्ममंथन करने को भी मजबूर कर दिया। राजनीति के जानकारों का मानना है कि जिस तेवर के लिए समाजवादी पार्टी जानी जाती थी उस तेवर की पुनः प्राप्ति के लिए अखिलेश के साथ शिवपाल का होना निहायत जरूरी है। क्योंकि नेताजी मुलायम सिंह यादव के बाद शिवपाल यादव एकमात्र ऐसे सपा नेता हैं जिन्हे कार्यकर्ताओं सहित जमीनी राजनीति की वास्तविक समझ है। उन्हे साथ लाकर डिम्पल ने अपनी राजनीतिक परिपक्वता का बखूबी एहसास करा दिया है। डिम्पल के इन उपलब्धियों को देखते हुए जानकार यहाँ तक मानते है कि यदि डिम्पल पिछले चुनाव में इतनी आक्रामकता दिखातीं तो आज यूपी में मौजूदा राजनीति की तस्वीर ही दूसरी होती। परिपक्व डिम्पल की अगली महत्वपूर्ण परीक्षा 2024 लोकसभा चुनाव में होना है।

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