Responsive Menu
Add more content here...
May 1, 2024
ब्रेकिंग न्यूज

Sign in

Sign up

फिर राजभर पर क्यों भड़के केशव !

By Shakti Prakash Shrivastva on September 18, 2023
0 83 Views

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                        एक दूसरे के बयानों को लेकर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर के बीच तल्खी बनी रहती है। वजह चाहे जो हो लेकिन केशव प्रसाद मौर्य द्वारा की गई टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया देने से जैसे ओपी राजभर चूकना नहीं चाहते है वैसे ही राजभर के दिए बयानों पर केशव भी टिप्पणी करने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं। यही वजह है कि अक्सर ये दोनों सुर्खियों में बने रहते हैं। पिछले दिनों एक न्यूज एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सुभासपा सुप्रीमो ओम प्रकाश राजभर के एक बयान को लेकर फिर से आपत्ति जताई है। जिसमें राजभर ने अपने और पूर्व मंत्री व घोसी विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रहे दारा सिंह चौहान को सरकार में शामिल किये जाने संबंधी एक बयान दिया था। इस पर केशव ने कहा कि राजभर को ऐसा नहीं कहना चाहिए। क्योंकि मंत्रिमंडल में कौन रहेगा और कौन नहीं रहेगा इसके बारे में कोई भी सूचना मुख्यमंत्री की तरफ से ही आना चाहिए। उन्होने घोसी उपचुनाव में हुई पार्टी की हार को एक दुर्घटना करार दिया। कहा कि पार्टी इस हार से सबक लेते हुए यह सुनिश्चित करेगी कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी का कमल खिले।

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मऊ जिले स्थित घोसी विधानसभा में सपा विधायक दारा सिंह चौहान द्वारा इस्तीफा दिए जाने से रिक्त सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने लगभग तिरालिस हजार मतों से पराजित कर दिया था। अमूमन उपचुनाव इतने महत्व नहीं रखते कि उसके परिणाम के चलते कोई बड़ी सियासी पार्टी अपनी रणनीति में बदलाव करे या उसकी बहुत चर्चा हो। लेकिन घोसी के चुनाव ने सत्ता से लहायत विपक्ष तक दोनों की ही सियासत में भूचाल सा ला दिया है। लोकसभा चुनाव के पहले बीजेपी के खिलाफ लामबंद हुए देश के 26 की संख्या में विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए बनने के बाद हुए पहले चुनाव में ही बीजेपी को मिली पराजय ने नवगठित गठबंधन का मनोबल बढ़ा दिया है और बीजेपी जैसी पार्टी को अपनी सियासी रणनीतियों में बदलाव करने पर मजबूर होना पड़ा है। क्योंकि बीजेपी आलाकमान को इस उपचुनाव में स्थानीय जातीय समीकरणों के चलते परिणाम के पक्ष में होने की पूरी उम्मीद थी। क्योंकि सिटीग विधायक जिसका अपनी ही बिरादरी का लगभग चालीस हजार से अधिक मत थे। उसके अलावा इलाके में खासा प्रभाव रखने वाले राजभर मतों के इलाकाई ठीकेदार और सुभासपा के मुखिया ओपी राजभर का सपा गठबंधन छोड़ बीजेपी के साथ आ जाना और 90 हजार मतदाताओं के लिए निषाद पार्टी का मजबूटी से साथ खड़ा रहना विजय की आस बना दिया था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब तो हालात ऐसे बनते जा रहे है कि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के रिश्तों में खटास की बू आने लगी है। जबकि सियासी जानकारों का मानना है कि बीजेपी और उनके सहयोगियों को इस समय बहुत संयम से रहना होगा अन्यथा लोकसभा चुनाव में राह आसान नहीं होगी। साथ ही प्रदेश में पिछड़े वर्ग की नुमाइंदगी करने वाले इन दोनों नेताओं को भी गंभीरता से अपने व्यवहार पर मनन करना होगा।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *