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गोरखपुर शहर सीट : RMD आउट योगी IN के मायने

By Shakti Prakash Shrivastva on January 16, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

उत्तर प्रदेश की मीडिया में एक अरसे से यह चर्चा थी कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी एंटी इंकम्बेंसी को न्यूनतम करने के लिए अपने सौ से डेढ़ सौ तक मौजूदा विधायकों का टिकट काट सकती है। इसके लिए बाकायदे पार्टी की तरफ से क्षेत्रवार सर्वे भी कराये गए जिसमें पार्टी द्वारा बनाए गए मापदंड पर विधायकों के कामकाज का परीक्षण कराने की खबर है। लेकिन शनिवार को जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर शहर की सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया तो निर्णय का जहां चारों तरफ स्वागत किया गया वही राजनीतिक गलियारों में चार बार से शहर की सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल का टिकट काटे जाने पर दबी जबान पार्टी के अंदर खाने चर्चा भी होने लगी। पार्टी से जुड़े कुछ लोगों का मानना था कि ठीक है कि मुख्यमंत्री डॉ अग्रवाल को पसंद नहीं करते है। पसंद न होने की वजह से ही उनकी योग्यता-अनुभव होने के बावजूद उन्हे प्रदेश मंत्रिमंडल में स्थान तक नहीं दिया गया। हालांकि यह भी सच है कि मुखरता से नहीं लेकिन प्रकारांतर से डॉ अग्रवाल भी मुख्यमंत्री के कार्य-व्यवहार से इत्तफाक नहीं रखते है। बावजूद इसके विधानसभा में कभी पार्टी के सचेतक रहे डॉ अग्रवाल की छवि एक गंभीर, ईमानदार और जनकार्यों में सदैव लिप्त रहने वाले नेता की है। इसकी वजह से उन्हे सर्वश्रेष्ठ विधायक भी चुना गया था। ऐसे में पार्टी द्वारा उनका टिकट काटा जाना आम-अवाम में अच्छा संदेश नहीं माना जा रहा है। जबकि वैसे ही पार्टी तीन दिन में ही तीन-तीन मंत्रियों और दर्जन भर विधायकों के पार्टी छोडने से दबाव में चल रही है। सोशल मीडिया लगातार बीजेपी सरकार के पाँव उखड़ने के और अखिलेश सरकार के बनने की संभावना तरह तरह आंकड़ों के जरिये प्रस्तुत करने लगा है। इस बाबत हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर, राष्ट्रीय सहारा जैसे अखबारों में सम्पादक रहे वरिष्ठ पत्रकार रामेंद्र सिन्हा के मुताबिक डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल की जगह पार्टी ने यदि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जो गोरक्षपीठाधीश्वर भी हैं, को टिकट दिया है तो निश्चित ही यह पार्टी की रणनीति का ही हिस्सा है। यह फैसला लेने से पूर्व डॉ अग्रवाल से भी निश्चय ही विचार विमर्श हुआ होगा। अखिरकार वे पार्टी के मौजूदा नगर विधायक हैं। उनकी अपनी एक अलग पहचान है। गोरखपुर शहर सीट से उम्मीदवार की घोषणा होने पर डॉ अग्रवाल ने कहाहै कि मै पार्टी का कार्यकर्ता हूँ, पार्टी के निर्णय से सहमत हूँ। सूत्रों की मुताबिक डॉ अग्रवाल पार्टी आलाकमान के बराबर संपर्क में भी हैं। हालांकि आचार संहिता लगने के बाद से ही डॉ अग्रवाल रोज रात 8 बजे अपने फेसबुक पेज पर लाइव जनता से रूबरू होते थे लेकिन उस दिन से अपरिहार्य कारणो का हवाला देते हुए उन्होने कार्यक्रम स्थगित कर दिया है। राजनीति के जानकारों का यह भी मानना है कि संभव है कि पार्टी उन्हे बगल के गोरखपुर ग्रामीण क्षेत्र से उम्मीदवार बना दे या उन्हे एमएलसी आदि बना दे। ग्रामीण से उम्मीदवार बनाने पर पार्टी की शहर और ग्रामीण दोनों ही सीटों पार सुनिश्चित मनी जा सकती है। क्योंकि पिछले परिसीमन से पहले ग्रामीण क्षेत्र का बड़ा हिस्सा शहर क्षेत्र का हिस्सा था। कभी योगी आदित्यनाथ के गुड बुक में रहने की वजह से हिन्दू महासभा के बैनर तले कद्दावर बीजेपी नेता और कई बार कैबिनेट मंत्री रहे शिव प्रताप शुक्ल के खिलाफ योगी ने न केवल डॉ अग्रवाल को चुनाव लड्वाया बल्कि जिताया भी। बाद के दिनों में दोनों के बीच दूरियाँ बनती गयी और बड़े महराज यानि अवैद्यनाथ जी के समाधिष्थ होते ही यह दूरियाँ काफी बढ़ गयी। क्योंकि डॉ अग्रवाल को बड़े महराज जी का करीबी माना जाता था। अखिलेश यादव की सरकार के दौरान एक बार तो बड़ी तेज यह खबर उडी थी कि डॉ अग्रवाल पार्टी छोड़ समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर रहे है और सपा उन्हे सरकार में मंत्री पद भी देने जा रही है लेकिन वसूलों कि दुहाई दे डॉ अग्रवाल ने स्थिति स्पष्ट कर दी थी। जिस दिन टिकट काटा उसके दूसरे ही दिन मायावती के जन्मदिन पर डॉ अग्रवाल ने उन्हे जन्मदिन की शुभकामनाये दी थी। एक दिन से अधिक का वक्त गुजर गया है डॉ अग्रवाल की तरफ से कुछ अलग संकेत नहीं मिले है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी की नीति या निर्णय डॉ अग्रवाल की समझ में आ गयी है। विशेष घोषणा जो कुछ भी होगी वो पार्टी के जरिये जल्द किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा रहा है।

 

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