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सधे सियासी एजेंडे के साथ गोरखपुर आए थे मोदी

By Shakti Prakash Shrivastva on July 9, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                 देशभर में इन दिनों समान नागरिक संहिता की गूंज से माहौल गरम है। साल भीतर ही देश में आम चुनाव भी होने हैं। उसको लेकर भी सियासी सरगर्मिया तेज हैं। ऐसे में इन सभी स्थितियों से बेपरवाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सधे सियासी एजेंडे के तहत 7 जुलाई को गोरखपुर आए। निर्धारित कार्यक्रमों में शिरकत किया और इन कार्यक्रमों के माध्यम से अपने सियासी संदेश और संकेत देते हुए आगे के लिए निकल गए। इनके जाने के बाद सियासत के जानकारों ने इन कार्यक्रमों के निहितार्थ ढूँढने की कोशिश की तो पता चला कि सनातन धर्म संस्कृति की ध्वजावाहक गीताप्रेस के शताब्दी समारोह के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए मोदी ने कहा कि गीताप्रेस महज एक संस्था नही है बल्कि एक जीवंत आस्था है। और इसका कार्यालय करोड़ों हिंदुओं के लिए किसी मंदिर से कम नही है। ऐसा कहकर देश की सियासत को मोदी ने यह संदेश देने की कोशिश की कि बीजेपी के लिए अभी भी विकास आदि के साथ-साथ हिन्दुत्व अहम मुद्दा है। यही नहीं इसके अलावा भी गोरखपुर में जितने कार्यक्रमों में मोदी ने हिस्सा लिया उन सभी के अपने गूढ सियासी एजेंडे रहे।

गीताप्रेस के शताब्दी समारोह के समापन में प्रधानमंत्री मोदी का शामिल होना और सरकार द्वारा कुछ ही दिन पहले गीताप्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिया जाना महज एक संयोग नही है। इसके भी सियासी अर्थ हैं। सदैव की तरह मोदी ने सांस्कृतिक धार देने के अपने तरीके से यहाँ भी विकास और विरासत की बात की। गीताप्रेस से निकलते वक्त चंद मिनट के लिए ही सही महाराजगंज के सांसद और केंद्र के वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के घर पहुंचना और वहाँ उनकी बुजुर्ग माता से बात कर आशीर्वाद लेना भी महज इत्तफाक नहीं बल्कि मोदी के अपने एजेंडे का हिस्सा रहा। पंकज के घर पहुँच इलाके के पिछड़ो को जहां मोदी ने संदेश देने का काम किया वही एक प्रतिष्ठित तेल कंपनी ‘तेल राहत रूह’ के मालिक होने के नाते पंकज के माध्यम से इलाकाई व्यापारियों में भी इसका एक बेहतर संदेश पहुंचाने में सफल रहे। इसके बाद गोरखपुर रेलवे स्टेशन पहुँचकर  मोदी ने देश की पच्चीसवी प्रतिष्ठित अत्याधुनिक वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखा रवाना किया। गोरखपुर से लखनऊ के बीच वाया अयोध्या चलने वाली इस ट्रेन की रवानगी से एकतरफ तो यह संदेश दिया गया कि बीजेपी के मूल एजेंडे में अभी भी अयोध्या का अहम स्थान है। वहीं दूसरी तरफ अत्याधुनिक ट्रेन संचालन से यह संदेश पहुंचाने में भी कामयाब रहे की केंद्र-राज्य की जनसरोकारी योजनाओं के साथ-साथ विकास उनका सपना है। इस तरह मोदी ने विपक्ष के सामने विरासत और विकास के रूप में मजबूत चुनौती पेश कर दी है। इन कार्यक्रमों के जरिये मोदी ने एक सियासी बिसात बिछा दी है। अब देखना ये है कि चुनाव के मद्देनजर एकजुट हो रहा देश का विपक्ष इसकी काट के लिए क्या करता है। बीजेपी की तरफ से भले ही कई कार्यक्रमों के जरिये चुनावी दुदुंभी बजाई जा चुकी है लेकिन पार्टी से इतर अपने अलग सियासी एजेंडे के तहत मोदी ने 7 जुलाई शुक्रवार को गोरखपुर से अनौपचारिक चुनावी शंखनाद कर दिया। इसके तहत मोदी ने गोरखपुर में यह स्पष्ट संकेत दे दिया कि पार्टी अपने मूल हिन्दुत्व के एजेंडे से दूर नहीं है।

ऐसे सियासी संकेत देने और अनौपचारिक चुनावी अभियान की शुरुआत के लिए गोरखपुर का ही चयन करने के पीछे भी सियासी अर्थ हैं। क्योंकि जबसे योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने है तब से गोरखपुर प्रदेश की सियासत का केंद्र बन गया है। इलाके में योगी का व्यापक प्रभाव भी है लेकिन पिछले चुनाव में पूर्वाञ्चल से बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी थी। लिहाजा मोदी ने यहाँ से इन कार्यक्रमों के माध्यम से इलाकाई मतदाताओं को साधने की भी एक कोशिश की है।

 

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