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यूपी में थर्डफ्रंट !

By Shakti Prakash Shrivastva on September 2, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

               देश में सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन को कमजोर साबित करने के लिए पिछले दिनों एक नया गठबंधन अस्तित्व में आया है। इस गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेवेलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस रखा गया है। इसमें बीजेपी और एनडीए गठबंधन के साथी 36 राजनीतिक दलों को छोड़ अधिकांश विपक्षी पार्टियां शामिल है। इस गठबंधन की पहली बैठक पटना, दूसरी बेंगलूरु और तीसरा बीते कल मुंबई में सम्पन्न हुई। इस गठबंधन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, नेशनल कान्फ्रेंस, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोकदल, जनता दल यूनाइटेड, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, शिवसेना उद्धवगुट, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (मार्क्स) और दक्षिण भारत की राजनीति में मजबूत पकड़ बनाए रखने वाली कुछ पार्टियों समेत 28 पार्टियां शामिल हैं। बीजेपी को केंद्र की सत्ता से अपदस्थ करने के मुख्य एजेंडे के साथ अस्तित्व में आए इस गठबंधन के घटक दलों की आपसी रिश्ते की कड़वी सच्चाई ये है कि ये दल भले ही किसी बड़े उद्देश्य के लिए एकसाथ है लेकिन इनके दिल आपस में नहीं मिले हैं। पटना की पहली ही बैठक में दिल्ली और पंजाब में सत्ता संभाल रही आम आदमी पार्टी ने गठबंधन में रहने के लिए कांग्रेस के सामने शर्त रख दी थी। इतना ही नहीं पटना मीटिंग के बाद आयोजित प्रेसवार्ता से पहले ही आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविद केजरीवाल दिल्ली के लिए निकल गए थे। अभी शुक्रवार को सम्पन्न हुए गठबंधन की मुंबई बैठक में भी पूर्व कांग्रेसी और मौजूदा समाजवादी पार्टी के राज्य सभा सांसद कपिल सिब्बल की मौजूदगी को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के सी वेणुगोपाल का विरोध भी सभी ने देखा। हालांकि खरगे, राहुल गांधी सरीखे नेताओं ने इसका बचाव किया।

अब ऐसे हालात में आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए सर्वाधिक अस्सी लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सियासी सरगरमियों का बढ़ना लाजिमी है। प्रदेश में भी उपरोक्त दोनों गठबंधन के सहयोगियों का प्रभाव है। प्रदेश में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल, अपना दल कमेरा, भीम आर्मी जैसी INDIA गठबंधन की सहयोगी पार्टियां है जो अपना प्रभाव रखती हैं। लेकिन बढ़ते सियासी गतिविधियों के बीच प्रदेश में एक नए सियासी गठबंधन के आकार लेने की खबरें आ रही हैं। इसके लिए अपने गठन की प्रक्रिया के बीच तीसरे मोर्चे के मुख्य घटकदल 3 सितंबर को लखनऊ में अपने पहली रैली का आयोजन करने जा रही है। रवीद्रालय में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में पूर्व सांसद डी पी यादव और वोटर्स पार्टी के प्रमुख विश्वात्मा समेत इटावा के पूर्व विधायक शिव प्रताप यादव जैसे कई नेता शिरकत करने जा रहे हैं। वोटर्स पार्टी प्रमुख विश्वात्मा की मुताबिक नेशनल यूनियन आफ बैकवर्ड क्लासेस, एससी एसटी एंड माईनेरिटीज की तरफ से ‘तीसरा मोर्चा विमर्श’ नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य वंचित जन को आर्थिक और सामाजिक न्याय दिलाने के साथ-साथ शांति, सद्भाव और संविधान को सुरक्षित रखना भी है। उनका मानना है कि आर्थिक सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों को न्याय दिलाने संबंधी रवैया न NDA के एजेंडे में दिख रहा है और न ही INDIA के ही एजेंडे में। भले ही राज्य की प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों को एक साथ रखते हुए प्रदेश में PDA यानि पी से पिछड़ा, डी माने दलित और ए मतलब अल्पसंख्यक होने का नारा देते हुए प्रदेश में राजनीती को धार देने की कोशिश कर रहे है। लेकिन प्रदेश की जमीनी दियासत की सच्चाई कुछ और है। यहाँ पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों यानि PDA का हितैषी होने की सियासत करने वाले दोनों ही गठबंधनों का रुख एकसा है।  ऐसे में 3 सितंबर को लखनऊ में होने जा रहे आयोजन से यह देखना दिलचस्प है कि उत्तर प्रदेश में नवगठित होने जा रहे इस मोर्चे का आगाज कैसा है और वो प्रदेश के सियासत में कितना असर छोड़ने की स्थिति में लगती है।

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