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UP में कांग्रेस : फिर गलतफहमी का शिकार हुआ पार्टी हाइकमान

By Shakti Prakash Shrivastva on October 16, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव की आवाज में  पूरी रिपोर्ट  सुनने के लिए क्लिक करें।

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

यह सच्चाई है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अपने संसदीय इतिहास के सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है। देश की सबसे अधिक विधायकों की संख्या वाले प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के महज आज दो सदस्य हैं। एक पूर्वाञ्चल के जिले महराजगंज की फरेंदा और दूसरी मध्य यूपी के प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास विधानसभा से। इनमें भी रामपुर खास से आराधना मिश्रा मोना कद्दावर कांग्रेसी और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की पुत्री है। इनकी जीत में पार्टी से अधिक उनकी पुश्तैनी प्रभाव की भूमिका है जबकि फरेंदा में वीरेंद्र चौधरी की विजय क्षेत्रीय जनता में कई बार हारने के चलते उनके प्रति उपजे सहानुभूति की वजह से मिली है। इन दोनों जीत में पार्टी का दूर-दूर तक कोई विशेष रोल नही रहा। इतनी बड़ी पार्टी का विधान परिषद में आज एक भी सदस्य नही है। एक लंबे अरसे से जहां पार्टी सरकार से तो गायब है ही जमीनी जनसरोकारी आंदोलनों में भी अपनी उपस्थिति नही रख सकी है। ऐसे में जबकि पार्टी को पहले गाँव से लेकर जिला स्तर पर मजबूत संगठन खड़ा करना चाहिए पार्टी जातीय साधक समीकरण साधने में लगी है। जातीय समीकरण साधने के ही क्रम में पार्टी ने बीएसपी से आए ब्रजलाल खबरी को प्रदेश का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। पार्टी हाइकमान के ऐसे निर्णयों से ऐसा लगता है कि एक बार फिर वो संभलने की बजाय गलतफहमियों की शिकार हो गयी है। राजनीति के जानकारों का भी मानना है कि सिर्फ अनियोजित आंदोलन करने या नेतृत्व बदलने से काम नहीं चलेगा बल्कि गाँव स्तर पर पार्टी को एक मजबूत संगठन तैयार करना होगा। क्योंकि जातिगत समीकरण साधने के लिए भी आधार का होना जरूरी है। पार्टी हाइकमान के निर्णयों से विश्लेषक भी हतप्रभ है कि ऐसा पार्टी क्यों कर रही है। यह सच्चाई है कि प्रदेश की राजनीति में वही सफल होता है, जिसका जमीन पर संगठन हो और जो आम लोगों से मिल रहे समर्थन को वोट में बदल सके। प्राय: देखने में आता है कि बूथ स्तर पर संगठन न होने से प्रतिद्वंद्वी स्थानीय नेता जातिगत समीकरण दूसरी ओर मोड़ने में कामयाब हो जाते हैं। जो पार्टी स्थानीय स्तर पर मददगार कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करने में कामयाब हो जाती है उसे ही चुनाव में वास्तविक फायदा मिल पाता है। कांग्रेस पार्टी को अगर वाकई प्रदेश में पुनः वापसी करना है तो उसे इन बातों को ध्यान में रखकर दूरगामी रणनीति तैयार करनी होगी।

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