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May 1, 2024
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काशी में लग रहा बंदरों का कट आउट !

By Shakti Prakash Shrivastva on May 8, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

               काशी देश ही नहीं दुनिया के प्राचीनतम शहरों में शुमार है। इसे देश की सांस्कृतिक राजधानी होने का भी गौरव हासिल है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन इन सब के बावजूद घाटों और मंदिरों वाले इस महत्वपूर्ण आध्यात्मिक शहर के निवासी फिलहाल इन दिनों डर के साये में जिंदगी जीने को मजबूर है। उनका डर किसी बदमाश या माफिया से नहीं बल्कि बंदरों से है। कई मुहल्ले के लोग बंदरों द्वारा कपड़ा फाड़ देने, सामान उठा ले जाने व तोड़ देने जैसी समस्याओं से परेशान है। हालांकि उन्होंने इससे बचाव का एक रास्ता निकाल लिया है। वो अब बंदरों से बचने के लिए लंगूर बंदर का कट आउट लगा रहे है। इससे उनको खासा राहत है। शहर में कट आउट के बढ़ते डिमांड से बाजार की भी चांदी है। इसके व्यापारियों को कट आउट बेचने से खासा मुनाफा हो रहा है।

अस्सी-नब्बे के दशक में आए दिन बदमाशों और माफियाओं की चहलकदमी के चलते गैंगवार में हुई गोलीबारी जैसी घटनाए शहर मीडिया की सुर्खियां हुआ करती थी। लेकिन अब हालात पहले से जुदा है। अब माफियाओं की गतिविधियां शून्य है। लेकिन इस तरह बंदर, कुत्ते, सांड आदि जैसे आवारा जानवर काशीवासियों के अमन-चैन में खलल डाल रहे हैं। हालांकि इसके लिए नगर निगम का एक भारी भरकम टीम लोगों को इनकी समस्याओं से बचाने के लिए लगा हुआ है। लेकिन निगम के प्रयास का कोई लाभ न मिलने से लोगों ने अपने तय इस तरह के प्रयोग शुरू किए हैं। फिलहाल उन्हे इससे लाभ भी मिल रहा है। बंदरों से बचाव के लिए लंगूर का कट आउट लगाने का पहला प्रयोग शहर में नाटी ईमली के लोगों ने किया। नाटी इमली के यू अग्रहरी की मुताबिक पहले पूरा मुहल्ला बंदरों के आतंक से त्रस्त था। लेकिन जब से हमने लंगूर के कटआउट लगाना शुरू किया है तब से बंदरों से काफी हद तक राहत मिल गई हैं। धीरे-धीरे शहर के अन्य मुहल्लों में भी यह प्रयोग शुरू हो गया। अब जब इसकी डिमांड बढ़ी तो इसका बाजार तैयार हो गया।

बंदरों का कटआउट बेचने वाले आर यादव की मुताबिक जहां एक ओर वाराणसी में बंदरों के आतंक से बचने के लिए लोग लाखों रुपए की ग्रिल लगवाने में खर्च करते हैं तो वहीं हम सिर्फ 700 रुपए का कटआउट स्टैंड के साथ बेच रहे हैं। इसको लगाने से लोगों को फायदा भी हो रहा है। लंगूर के कटआउट का आर्डर भी मिलता है। उन्होंने बताया कि अभी तक 500 से अधिक पीस लंगूर के कटआउट को वे बेच चुके है और अभी भी रोजाना 3-4 पीस की बिक्री हो रही है। अब तो आलम ये है कि काशी के लगभग हर पुराने मुहल्ले मे आपको बंदर का कट आउट टंगा हुआ मिल जाएगा। मुहल्ले में कट आउट की संख्या देख स्थानीय लोग समझ जाते हैं कि इस मुहल्ले में इन बंदरों का कितना आतंक है।

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