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April 23, 2022

गोरखपुर में गिद्धराज ‘जटायु’ के संरक्षण-संवर्धन के लिए बन रहा दुनिया का पहला केंद्र

शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                           रामायण के महात्म्य से वाकिफ हर हिन्दू धर्मावलम्बी ‘जटायु’ नाम से अवश्य वाकिफ होगा। वही जटायु जिसने रावण द्वारा सीता के हरण किए जाने पर रास्ते में सीता माता को छुड़ाने के लिए हरसंभव प्रयास किया था। इस संघर्ष में उसे रावण जैसे पराक्रमी के हाथों वीरगति मिली थी। उनकी इस वीरता के लिए ही रामकथा में जटायु नाम बड़े आदर पूर्वक लिया जाता है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इनके संरक्षण-संवर्धन के प्रति खासा गंभीर है। सरकार गोरखपुर के कैम्पियरगंज में दुनिया का पहला ‘राज गिद्ध प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र’ खोलने जा रही है।  गिद्धों में भी सर्वश्रेष्ठ प्रजाति यानि राज गिद्ध श्रेणी के गिद्धों के संवर्धन के लिए सरकार 15 वर्षों में लगभग 35 करोड़ रुपया खर्च करने जा रही है। इनमे से 7 करोड़ रुपया स्वीकृत भी हो चुका है। उम्मीद जताई जा रही है कि 3 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस के मौके पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसका शुभारंभ भी करे। यह कार्य सरकार और बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के साथ मिलकर संयुक्त रूप से किया जा रहा है। सरकार से हुए समझौते के क्रम में संस्था को 24 बीघे जमीन दी गयी है। इसमें अस्पताल, लैब सहित सुरक्षा के उपकरण आदि लगाए जाएँगे। संस्था की प्रतिनिधि अलका दुबे की मुताबिक प्रोजेक्ट कुल तीन चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में 3 जोड़ी गिद्ध संवर्धन व प्रजनन के लिए लाये जाएँगे। वर्ष 2022-23 में 7 जोड़ी और 2023-24 में 2 जोड़ी राजगिद्ध लाये जाएँगे। इसके इनके प्रजनन के जरिये संख्या में वृद्धि के प्रयास किए जाएँगे। इनसे 15 सालों में संख्या 150 से 180 के बीच हो जाने की उम्मीद है। गिद्धों के कुल 4 प्रजातियाँ पायी जाती हैं। एक सफ़ेद पीठ वाला होता है। दूसरा लंबी चोंच वाला तथा तीसरा पतली चोच वाला होता है जबकि इन सब में श्रेष्ठ जिसे राजगिद्ध कहते है उसकी गर्दन लाल होती है। इसी श्रेणी के रामायण काल में गिद्धराज जटायु थे। किसी जानवर के मरने पर राजगिद्ध ही चोंच मारकर उसके शरीर को पहले खोलता है। उसके बाद अन्य प्रजाति के गिद्ध उसे खाते हैं। इसी राजगिद्ध प्रजाति के संरक्षण-संवर्धन के लिए सेव टाइगर की तर्ज पर सेव जटायु प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 के तहत इसके लिए नियम बनाए गए हैं। चार दशक पहले तक करोड़ों की संख्या में गिद्ध थे लेकिन आज उनकी संख्या लगभग 91 फीसद खत्म हो चुकी है। इस स्थिति को देख अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गिद्धों के संरक्षण की पहल हुई। अपने देश में भी असम, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कुल चार जगह प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र खोले गए। लेकिन इनमे राजगिद्ध के लिए एक भी केंद्र नहीं है। प्रदेश में खुलने वाले इस केंद्र पर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की नजर है। प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री अरूण कुमार सक्सेना स्वयं बाम्बे नेचुरल सोसाइटी से संपर्क बनाए हुए है और प्रगति की परख करते रहते हैं।

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