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वृद्धा विवाह : 80 साल का दूल्हा और 70 साल की दुल्हन, फ़ेसबुक से जुड़ रचाई शादी

By Shakti Prakash Shrivastva on May 9, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

              पृथ्वी गतिशील है और समय का चक्र परिवर्तनशील। समय की इस  परिवर्तनशीलता का असर समाज और उसके निर्माण की कड़ी, ‘रिश्तों’ पर भी बखूबी दिखता है। पहले एक समय ऐसा था जब समाज में बाल विवाह हुआ करते थे। समय बदला बाल विवाह की जगह समय से परिपक्व यानि 25-30 साल की उम्रवय वाले युवाओं के बीच विवाह होने लगे। समय चक्र और घूमा उम्रदराज विवाह यानि 40-40 साल के बीच वालों का होना शुरू हुआ। मौजूदा  दौर में अधिकांश युवा अपने सपनों का कैरियर पाने में उम्र के इस दहलीज तक आ खड़े होते है लिहाजा शादी इस उम्र खंड में होने शुरू हो गए। लेकिन 21 वी सदी के मौजूदा दौर में उत्तर प्रदेश का आगरा जिला एक ऐसी शादी का साक्षी बना जिसमें 80 साल के बुजुर्ग ने न केवल फ़ेसबुक पर मिली 70 वर्षीया   बुजुर्ग से दोस्ती की बल्कि उससे शादी रचा बाकायदा उसे पत्नी का दर्ज भी दिया। सुनने में इस प्रेम कथा की स्क्रिप्ट किसी रोचक फिल्मी पटकथा से कम रोचक नही है। कहानी उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के बाह कस्बे से जुड़ी है। यहाँ के निवासी माता प्रसाद सैथिया ने 80 साल की उम्र में 70 साल की उम्र वाली भावेश्वरी से शादी रचा इलाके को खासा चर्चा में ला दिया। खाद्य सुरक्षा विभाग से सेवानिवृत पूर्व उपायुक्त माता प्रसाद सैंथिया निर्मल प्रेम मेमोरियल सोसाइटी बनाकर शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में समाजसेवा कार्य कर रहे थे। लगभग आठ महीने पहले उन्होंने फेसबुक पर देवास (मध्य प्रदेश) में किये गए अपने सेवा कार्य की एक पोस्ट की। अंधेरी मुंबई की रहने वाली पूर्व प्राचार्य भावेश्वरी को उनका यह पोस्ट खासा भा गया। उन्होंने फ़ेसबुक पर ही उनसे मिलने और जुडने की इच्छा जाहिर की। सहमति मिलने पर एक दिन बच्चों का टूर लेकर भावेश्वरी उज्जैन आईं। उज्जैन में दोनों का आमने-सामने पहला परिचय हुआ। पहली मुलाकात में ही दोनों ने साथ-साथ रहने का अहम निर्णय ले लिया। इसके दोनों ने अपने-अपने परिवारों से सहमति ली और 22 अप्रैल को मुंबई के एक मंदिर में बकायदे शादी रचा ली। अभी चार दिन पहले गांव आकर दोनों ने वृद्धाश्रम निर्माण शुरू कराया है। नए विवाहित जोड़े की मुताबिक वे निराश्रित, जरूरतमंदों की सेवा में जीवन की इस दूसरी पारी को खुशी-खुशी पूरी करेंगे। भावेश्वरी की मुताबिक उनके पति की मौत के बाद 22 साल की बेटी पूजा के भरोसे जी रही थीं। परिवार में तीन भाई और एक बहन भी हैं। उनके दो भाई विदेश में हैं और एक भाई का परिवार डॉक्टर है। इकलौती बेटी की शादी होनी थी। लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था सो शादी के दो माह पहले ही पक्षाघात से उसकी मौत हो गई। इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया। माता प्रसाद सैंथिया की फेसबुक पोस्ट और मुलाकात से भावेश्वरी को अपने जीवन में उम्मीद की नई किरण दिखी। सो जीवन के इस पड़ाव पर ऐसा निर्णय लिया। वे अंधेरी मुंबई में 10 साल से एनजीओ से जुड़कर समाजसेवा कर रही थीं। अब माता प्रसाद की जीवन संगिनी बनकर उनके सेवा कार्यों में भागीदारी  करेंगी। माता प्रसाद सैंथिया ने बताया कि सेवानिवृत्त होने और पत्नी की मौत के बाद उनकी जिंदगी निरर्थक लगने लगी थी। उसे दूर करने के लिए समाजसेवा शुरू किया। अब फेसबुक पर भावेश्वरी से मुलाकात व शादी से सेवा कार्य का संकल्प मजबूत हुआ है। साथ रहकर व समाजसेवा कर वो खालीपन दूर करेंगे। तीन बेटे हैं। उनका देवास में स्वतंत्र व्यापार है। उम्र के इस पड़ाव पर भी माता प्रसाद और भावेश्वरी के बीच जीवन जीने के प्रति जो ललक है वो नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी है। जज्बे को सलाम..

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