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घोसी हार के बाद भी नहीं थमा ‘राजभर’ का बड़बोलापन

By Shakti Prakash Shrivastva on September 13, 2023
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

                            उत्तर प्रदेश के मऊ जिला स्थित घोसी विधानसभा का उपचुनाव एनडीए और आईएनडीआईए गठबंधनों के लिए नाक का सवाल बन गया था। देश में विपक्षी दलों के गठबंधन आईएनडीआईए बनने के बाद यह पहला चुनाव होने की वजह से भी ऐसा माना गया। बहरहाल शुरुआत में ही घोसी विजय के रूप में गठबंधन को सफलता का स्वाद मिल गया। यह चुनाव एनडीए गठबंधन मे जुडने वाले सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर का भी पहला चुनाव था। लेकिन इस पूरे चुनाव के दौरान राजभर और उनके बेटे अपने विवादित बयानों के चलते लगातार सुर्खियों में रहे। कई बार तो उनके बयान बीजेपी सहित गठबंधन के नेताओं तक के लिए असहज स्थिति पैदा कर देते थे। सियासी जानकारों का यह भी मानना है की एनडीए की यहाँ हुई हार में इनके बडबोले बयानों का भी बड़ा योगदान है। हार के बाद भी इनका बडबोलापन थमने का नाम नहीं ले रहा है। अभी भी उनके विवादित बयान बदस्तूर जारी है।

                          सपा से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो बतौर बीजेपी प्रत्याशी घोसी चुनाव लड़ने वाले दारा सिंह चौहान के नामांकन के दिन से ही ओपी राजभर की विवादित बयानी शुरू हो गई थी। प्रचार के दौरान सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को चुनौती देते हुए राजभर ने कहा था कि पहले मैं दूसरी जगह था, अब वो लोग बेचारे बहुत परेशान हैं। लेकिन घबरा मत तू लोग, जेतना धोखा तू लोग हमरा नेता के देले हव, ओकर ब्याज सही लौटाकर अगर सैफई नहीं पहुंचा दिया तो अपने मां-बाप की औलाद नहीं। इतना ही नहीं इसके बाद एक निजी चैनल से बात करते हुए राजभर ने यादव समाज और अखिलेश को सीधा निशाने पर लेते हुए कहा, कि ये लोग क्या बात करेंगे? ये राजभर का हिस्सा लूट लेंगे। पाल, चौहान, प्रजापति का हिस्सा लूट लेंगे। ये दूसरे की क्या बुद्धि खोलेंगे? पहले अपनी बुद्धि खोल लें। यह बात हम नहीं कह रहे, लोग कहते हैं। अहीर की बुद्धि 12 बजे खुलती है। अखिलेश यादव पहले अपनी बुद्धि खोल लें। एक सभा में उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश कैसे सीएम बनेंगे? उन्हें कौन वोट देगा? सुन लो राजभर कह रहा है कि यूपी में अखिलेश यादव ने वो बीज बो दिया है कि कोई यादव मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है। उनको किसी पटेल, मौर्य, चौहान, निषाद, बिंद या राजभर को सीएम बनाना पड़ेगा। इसके बाद ही वो सरकार में आ सकते हैं। वरना अब वो सरकार नहीं बना सकते हैं।

राजभर के बयानों के तूल पकड़ने पर उनके सहयोगी बीजेपी को कहना पड़ा कि राजभर की पार्टी का हमारी पार्टी के साथ गठबंधन हैं। वो हमारी पार्टी के नेता नहीं हैं। राजभर के बड्बोलेपन और अगंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के पक्ष में प्रचार कर रहे है उनही के बारे में कह दिया कि दारा सिंह चौहान ने कोई काम नहीं किया है। इसका वीडियो वायरल हुआ और उन्हें ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। इसी वीडियो में उन्होंने यह भी कहा था कि हम दारा का प्रचार नहीं कर रहे हैं। हम तो एनडीए में शामिल हैं। हम एनडीए का प्रचार कर रहे हैं और वोट मांग रहे है। उनके विवादित बयानों के कारण पार्टी के ही कुछ स्थानीय स्तर के नेता नाराज हो गए थे। उनके बयानों ने कुछ जाति विशेष के लोगों की भावनाओं को भी ठेस पहुंचाई। हालांकि, चुनाव में हार के बाद योगी सरकार के मंत्री भी सुभासपा प्रमुख को नसीहत देते नजर आए थे। बीजेपी की ही सहयोगी निषाद पार्टी सुप्रीमो डॉ॰ संजय निषाद ने भी राजभर के बयानों पर कहा कि हम जनता की भावना का सम्मान करते हैं। राजभर को मैं कहता हूं ज्यादा मत बोलो। अपने संबंधों को ठीक रखना चाहिए। उनको अपने बयानों में संयम रखना चाहिए। इनके बड्बोलेपन का आलम ये है कि कोई भी नेता अब हार के बाद उनके बड़बोलेपन पर जवाब देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी बयानबाजी के मामले में ओपी राजभर से लेशमात्र भी कम नहीं है उनके बेटे अरुण राजभर। उनका कहना था कि सपा झूठ और मक्कारी गुंडागर्दी के सहारे वोट लेना चाहती है। लेकिन घोसी की जनता इनको सिर्फ झुनझुना ही थमाएगी। जनता को गुंडागर्दी और अराजकता नहीं चाहिए। इतना ही नहीं एक बयान में उन्होने सपा नेता राम गोपाल यादव को उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा भू-माफिया भी बता दिया था। ऐसा नहीं कि पिता-पुत्र के बयानबाजी का सिलसिला चुनाव बाद थम गया। अभी भी ओपी राजभर के बयान पुराने ही अंदाज में आ रहे हैं। हाल में उन्होने एक बार फिर सरकार में मंत्री बनने का दावा करते हुए कहा कि हम और दारा सिंह मंत्री बनेंगे। मंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता है। जो लोग परेशान हैं। मैं उनसे कह रहा हूं कि दिल थाम के बैठो, कहीं करेजा न फाट जाए, हार्ट अटैक न हो जाए। हम मंत्री बनेंगे।

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