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October 16, 2025
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तेजस्वी नहीं, तेजप्रताप तो हैं न जी!

By Shakti Prakash Shrivastva on August 24, 2025
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     शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

सियासत में भावना, रिश्ता-नाता जैसे शब्द बेमानी हैं। यहाँ इन शब्दों का प्रयोग अलंकरण मात्र के लिए किया जाता है। हालिया उदाहरण आपको बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार में देखने को मिल जाएगा। आज लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को परिवार ने बाहर कर दिया है। न केवल परिवार से बल्कि पार्टी से भी बाहर कर दिया है। जबकि एक समय था प्रदेश सरकार में छोटा भाई तेजस्वी उप मुख्यमंत्री और स्वयं तेज प्रताप कैबिनेट मंत्री था। परिवार की इस हरकत से आहत तेजप्रताप ने भी ठान लिया है कि अब परिवार से अलग एक नयी पार्टी बनाएँगे और बना भी लिया। सिर्फ बनाया ही नहीं, यह भी घोषित कर दिया है कि उनके पुरानी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल या भाई तेजस्वी से जो भी असंसतुष्ट हो उसके लिए उनके दल का दरवाजा खुला है। असउददीन ओवैसी को साथ आने का न्योता दे इसकी शुरुआत भी कर दिया है।
एक महिला दोस्त के साथ सोशल मीडिया पर तस्वीर देख तेज प्रताप को बिहार के मुख्यमंत्री रहे और राजद के मुखिया उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने उन्हे छः साल के लिए पार्टी से निकाल दिया और घर से भी। इसके बाद तेज प्रताप ने भी एकला चलो की राह पर चलते हुए टीम तेजप्रताप यादव बनाया। साथ ही घोषणा कर दी कि बिहार विधानसभा के चुनाव में उनकी नयी पार्टी चुनाव मैदान में उतरेगी। नयी पार्टी का नाम जनशक्ति जनता दल रखा। मिली जानकारी की मुताबिक चुनाव आयोग में पार्टी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है। विधानसभा चुनाव में महुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। महुआ की जनता पर उन्हे इतना भरोसा है कि ऐलानिया कहते फिर रहे हैं वहाँ की जनता उनको छोड़ किसी को भी जिताएगी नहीं।
इस महीने की शुरुआत में ही तेज प्रताप यादव ने पांच पार्टियों का गठबंधन बनाकर बिहार विधान सभा चुनाव में उतरने की घोषणा कर दिया था। जिन पांच पार्टियों को गठबंधन में शामिल क्या गया है उनमें विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी), वाजिब अधिकार पार्टी (डब्ल्यूएपी) और संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी) शामिल है।
अभी चुनाव होने में महीनों का समय है लेकिन आल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिम यानि एआईएमआईएम के सामने गठबंधन का प्रस्ताव देकर तेजप्रताप ने बिहार की सियासत में एक बड़ी बाजी खेल दी है। सीमांचल क्षेत्र में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को पटखनी देने वाले असदुद्दीन ओवैसी बिहार की राजनीति में एक ताकत के साथ उभरे थे। यह अलग बात है कि उनके जीते सभी पांच विधायकों में से चार को राजद ने अपने साथ कर लिया। जबकि ओवैसी का प्रभाव अभी भी बरकरार है। राजद से नाराज चल रहे ओवैसी और तेज प्रताप के साथ आ जाने से इतना तो तय है कि राजद को खासा नुकसान होगा। साथ ही प्रदेश की सियासत में एक नया समीकरण भी बनेगा।
इन सारी सियासी कवायदों के बाद ऐसा माना जा रहा है कि बिहार का विधानसभा चुनाव तेजप्रताप यादव का सियासी कद स्थापित कर जाएगा।

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