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October 16, 2025
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केशव का संकेत !

By Shakti Prakash Shrivastva on September 12, 2025
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                                                                       शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

सियासत में संकेतों की बहुत अहमियत होती है। इन संकेतो को जो समय से समझ गया उसे ही सियासत का जानकार माना जाता है। इस बार एक ऐसा ही अहम संकेत उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिया है। पटना में दिया गया उनका संकेत बिहार चुनावों के मद्देनजर है। उन्होने कहा कि भारतीय जनता पार्टी पर अब यह आरोप लगने लगे हैं कि यह केवल वैश्य और सवर्णों की पार्टी नहीं रही, बल्कि अब पिछड़े और अतिपिछड़ों को भी मुख्य धुरी बना चुकी है। बिहार के संदर्भ में उन्होने कहा कि सौ में साठ हमारा, बाकी में बंटवारा। बिहार चुनाव से पहले बीजेपी के इस कद्दावर नेता के इस संकेती बयान को काफी अहम माना जा रहा है।

गुरुवार को पटना के एक कार्यक्रम में बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उपराष्ट्रपति पद के लिए हालिया सम्पन्न चुनाव पर चर्चा कर रहे थे। इस जिक्र के साथ साथ उन्होंने विपक्षी गठबंधन आईएनडीआईए पर नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। कहा कि अब बारी बिहार की है। इस बार विधानसभा चुनाव में एनडीए का नारा होगा- ‘सौ में साठ हमारा, बाकी में बंटवारा’, जनता को नरेंद्र मोदी की डबल इंजन की सरकार इसलिए भाती है, क्योंकि वह सबके जीवन में ‘रोशनी’ लाती है।’

सोशल मीडिया पोस्ट पर केशव प्रसाद मौर्य ने यह लिखा कि  आईएनडीआईए गठबंधन को धता बताकर एनडीए गठबंधन ने उपराष्ट्रपति का चुनाव 60 फीसदी से अधिक मतों से जीता है। दुर्भाग्य है कि आईएनडीआईए गठबंधन ने इस चुनाव में उस नक्सलवाद को अपना मोहरा बनाया, जिसे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लगभग ठिकाने लगा दिया है।’

अब इसे संयोग ही कहेंगे कि समाजवादी चिंतक और स्वीकार्य नेता राम मनोहर लोहिया ने भी पिछडे वंचितों की आवाज बनते कहा था- ‘संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावे सौ में साठ’, यह वही नारा है, जिसके सहारे जब नायक कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद, शरद यादव, नीतीश कुमार ने अपनी अपनी राजनीति की फसल काटी।

इस समीकरण की सियासी संभावनाओं को समझते हुए बीजेपी ने सत्ता की लड़ाई के लिए अपनी नीतियां बदली और सॉफ्ट समाजवादी नेताओं के साथ नई राजनीति की और कदम बढ़ाया। इस राजनीति के तहत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार में समाजवादी नेता नीतीश कुमार पर भरोसा किया। नीतीश के जरिए उन्होंने तब लालू प्रसाद की सत्ता को न केवल चुनौती दी, बल्कि सत्ता की बागडोर भी थामी। बीजेपी ने बिहार में जब पिछडों की ताकत को समझा तो उनके बीच पैठ बनानी शुरू की। यही वजह है कि पिछले कई वर्षों से बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ा से ही बनाया जा रहा है। मंगल पांडेय के बाद नित्यानंद राय, डॉ संजय जायसवाल, सम्राट चौधरी और अब डॉ. दिलीप जायसवाल को पार्टी कमान सौंप पार्टी ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी।

सियासत के मौजूदा बियाबान में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का यह नारा बिहार विधान चुनाव 2025 के लिए स्पष्ट संकेत देती है। अब जनता इन संकेतों को कितना समझती है, यह परिणाम पर निर्भर करता है।

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