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January 14, 2025
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जानिए अखिलेश के अचानक कानपुर दौरे का रहस्य

By Shakti Prakash Shrivastva on December 16, 2022
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शक्ति प्रकाश श्रीवास्तव

मैनपुरी चुनाव में पार्टी को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद से समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव कुछ खासे उत्साहित हैं। उत्साह से लबरेज अखिलेश अब हर वो राजनीतिक दांव चलने के मूड में है जिससे उनका और उनके पार्टी का कद बढ़े। इस बाबत जहां वो सबकुछ भूल चाचा शिवपाल को तवज्जो दे रहे है उसी तरह पार्टी से दूर होते दिख रहे मुस्लिम मतदाताओं को भी अपने साथ जोड़े रखना चाहते है। बीजेपी द्वारा मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए पसमाँदा मुस्लिम सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा से चिंतित अखिलेश ने भी इसे प्राथमिकता देना शुरू कर दिया। मुस्लिम मतदाताओं को पुनः मजबूती से अपने पक्ष में खड़ा करने के प्रयास के क्रम में ही अखिलेश ने कानपुर जाने का फैसला किया है। वहाँ अखिलेश कानपुर जेल में बंद मुस्लिम सपा विधायक हाजी इरफान सोलंकी से मुलाक़ात करेंगे। सवाल ये उठता है कि कई मुकदमों में वांछित कुछ दिनों तक फरार रहने के बाद पिछले 2 दिसंबर से जेल में बंद विधायक की सुधि लेने में अखिलेश ने इतना विलंब क्यों किया। ऐसा नही है कि अखिलेश को मुस्लिम मतदाता सहेजू इस दांव का ख्याल अचानक आया है। उन्हे यह दांव चलना ही था लेकिन मैनपुरी उपचुनाव सहित अन्य उपचुनावों की व्यस्तता के बाद वो मौंजू अवसर की तलाश में थे। अब वो प्रदेश में होने वाले निकाय चुनावों की आधिकारिक घोषणा होने से पहले इस दांव को आजमा लेना चाहते हैं। निकाय चुनाव संबंधी अधिसूचना जारी किए जाने पर 20 दिसंबर तक लगी हाईकोर्ट, लखनऊ की रोक की वजह से अखिलेश ने मुलाक़ात का दिन 20 दिसंबर मुकर्रर किया है। हाजी इरफान सपा के दूसरे ऐसे विधायक हैं जिनसे मिलने पार्टी सुप्रीमो अखिलेश जेल जाने वाले है। क्योंकि इसके पहले यादव मतदाताओं को संगठित रखने के प्रयास के क्रम में विधायक रामकांत यादव से मिलने आजमगढ़ जेल गए थे अखिलेश यादव। आजम खान प्रकरण में वाजिब साथ न दे मुस्लिमों को महज वोट के लिए इस्तेमाल किए जाने सरीखे लांछन से बचने के साथ-साथ अखिलेश इस मुलाक़ात से मुस्लिमों को फिर से यह भरोसा देने का प्रयास करेंगे कि आज भी उनकी ही पार्टी उनकी असल मददगार है। क्योंकि उन्हे इस बात का भय है कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो मुस्लिम मतदाता उन्हें अपनी ओर खींचने के प्रयास में लगी बीएसपी और कांग्रेस जैसी पार्टियों का रुख कर सकती है जो पार्टी के भविष्य के लिए शुभ नहीं होगा। देखना दिलचस्प होगा कि अखिलेश अपने इस प्रयास में कितना कामयाब हो पाते हैं।

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